पत्रकार बन्धु कृपया इसे नसीहत न समझें

पत्रकार बन्धु कृपया इसे नसीहत न समझें

-डॉ0 भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी/  ऐ नारद भाइयों- ऐसा यशोगान न करो कि मैं जो हूँ वह न दिखूँ और जो नहीं हूँ उसी के बारे में में लोग जानें। मैं कलेक्टर हूँ डाइरेक्ट सेलेक्टेड। कड़ी प्रतियोगी परीक्षाएँ उत्तीर्ण किया है। आप लोगा तो एकदम से मेरी छवि ही बिगाड़ने पर तुले हो। आप के षडयन्त्रों से वाकिफ होने लगा हूँ। महिमा मण्डन करना आप लोगों का शगल है तो मैं भीं एक आई0ए0एस0 हूँ। कवि के रूप में मुझे प्रोजेक्ट और हाईलाइट करके कहीं एक तीर से दो शिकार तो नहीं कर रहे हो।
क्या बोले यह प्रचार युग है। मानता हूँ लेकिन इतना प्रचार भीं मत कर डालो कि सरकार की भृकुटी टेढ़ी हो जाए और मुझे मंचों पर काव्य पाठ करने की वजह से कलेक्टर पद से हटा दिया जाए। लो जी यह मैं क्या कहना लगा, देखों जी मुझे सरकार हटा ही नहीं सकती। सरकार की मजबूरी हूँ मैं, क्योंकि आई0ए0एस0 हूँ। रही बात मेरे तबादले की तो जब चाहूँगा तभीं जाऊँगा। मेरा एम0एल0ए0, एम0पी0, मन्त्री कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। यह क्यों भूलते हो कि सरकार का मुखिया चुनिन्दा आई0ए0एस0 को ही कलेक्टर बनाकर पोस्ट करती है। मैं भीं सी0एम0 के टच में रहता हूँ। मंत्री, विधायकों से ज्यादा पकड़ है मेरी।
खैर! यह सब बातें छोड़ा ेअब मेरा गुणगान मत करो। बहुत हो गया मैं आप लोगों की चमचागीरी से बोर हो गया हूँ। ऊपर वाला तुम लोगों को सद्बुद्धि दे। मेरी गणेश परिक्रमा और मक्खनबाजी करके क्या पाओगे। सोंच का स्तर थोड़ा ऊपर करो- दुनिया बड़ी है। लण्डन देखा, पेरिस देखा और देखा जापान, पर कहीं न पाया वैसा जैसा अपना हिन्दुस्तान नो नो डियर अमरीका मेरीजान। क्या समझे नही समझे तो मत समझो, समझदानी तो सीमित और छोटी है। बस जब कोई वी0आई0पी0 देखते हो तो खीसे निपोर कर मंकी स्टाइल में अपनी अदाएँ दिखाने लगते हो। बस यहीं तक सोंच पाते हो।
देखो डियर्स! यह स्थान बहुत छोटा है। तुम्हारी करतूतों की जानकारी सभीं को है। यदि आधुनिक ‘नारद’ बन ही गए हो तो कम से कम ठीक ढंग से अपनी कार्यशैली बना डालो। सम्मान देना सीखो तभीं सम्मान पावोगे। जी नहीं मुझ जैसे कलेक्टर को ही नहीं हर आम-खास को यथायोग्य सम्मान दो। यार तुम लोगों को देखकर लगता है कि मैं किसी ब्लाक स्तर का कलेक्टर हूँ, या फिर न्याय पंचायत स्तरीय हाकिम क्योंकि तुम लोगों में अब भीं असभ्यता, अशिक्षा और गँवारपन भरा हुआ है। प्रिन्ट मीडिया से सम्बद्ध कुछ तुर्रमखान है तो कुछेक हैण्डीकैम लिए इलेक्ट्रानिक चैनलों के रिपोटर्स। दोनों को देखने के बाद प्रतीत होता है कि हमारा देश विकासशील देख है न कि विकसित मुल्क।
आई लव माय इण्डिया बट अमरीका मेरी जान। इसका मतलब तुम बता सकते हो। न तो मैं ब्रम्हा, विष्णु, महेश का कोई अवतार और न ही तुम में से कोई दूरदर्शी ‘नारद’। तब भला तुम मेरा यशोगान क्यांे करते हो- अब समझा असलहे का लाइसेन्स दिलवाना है। कितना लिए हो चलो मंत्री जी के कोटे से यदि कुछ शेष रह गया होगा तो दे दूंगा। असलहा लाइसेन्स क्यांे नहीं अपनी घरवाली को दिला देते तुम्हारा स्टेटस सिम्बल बढ़ जाएगा। बीवियों को मंच पर लाओ काहंे को शर्म करते हो। आई0ए0एस0 न सही लेकिन हो तो मीडिया परसन। यहाँ पी0पी0 ज्यादा है मसलन प्रधानपति, प्रमुखपति...........आदि। मुझे तो शर्म आती है जब महिला जनप्रतिनिधि के प्रतिनिधि पति से मिलता हूँ। पैसों के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते।
माय डियर वन थिंग मोर वो क्या है जब तक लोग शिक्षित नहीं होंगे तो स्वयं अपनी बातें नहीं कह पाएँगे। नकल करके सनद लेने वाले भीं ऐसे ही होते हैं। मैं कलेक्टर कैसे बना, नकल करके नहीं  खूब पढ़ाई करके। कहना चाहूँगा कि आरक्षण के जमाने में महिलाओंा को आगे करके पैसा कमाने की गरज से पालिटिक्स न की जाए, महिलाओं को समान दर्जा दिया जाए, उनसे भीं अपेक्षा करता हूँ कि वे स्वयं अपनी बातें कहें पतियों पर आश्रित न रहें। राजनीति से लेकर काव्य पाठ तक करनेे वाले महिलाओं को कड़ी मेहनत करनी होगी, सुशिक्षित होना होगा। तभीं मजा आएगा वर्ना उनके पति परमेश्वर ही उनके प्रतिनिधि के रूप में अपनी कुटिल राजनीतिक ज्ञान से सुख-सुविधा सम्पन्न बनते रहेंगे।
तो डियर मीडिया/प्रेस परसन्स आप लोग भीं समझ गए होगें। आवारा गर्दी, अफसरों की गणेश परिक्रमा और यशोगान बन्द करो। समय से अपना काम निबटाओ, घर का खावो, घरवाली के साथ समय दो, नशाखोरी दुराचार, कदाचार को अपनी आदत न बनाओ। देखो डियर्स मेरी बात को नसीहत मत मानना, ऐसे ही कह दिया। बी सीरियस एण्ड डू सीरियस लिव सीरियस तभीं सम्मान के पात्र बन सकोगे। शेष फिर कभीं.....। (काल्पनिक)
-डॉ0 भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी

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