सीट बंटवारे की जंग में अखिलेश का साथ छोड़कर भागेंगे छोटे-मोटे दल!

सीट बंटवारे की जंग में अखिलेश का साथ छोड़कर भागेंगे छोटे-मोटे दल!


उत्तर प्रदेश
विधानसभा चुनाव (UP assembly election 2022) के इस रण में हर पार्टी को विपक्षियों से पार पाने के लिए गठबंधन के महत्वपूर्ण अस्त्र की बहुत जरूरत है, पर यह अस्त्र अपनी कीमत भी भरपूर मांगता है. गठबंधन के इस महंगे अस्त्र के मायाजाल में अब लगता है समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) फंसने वाले हैं. जिस तरह से अखिलेश (Akhilesh)  छोटे बड़े दलों से चुनावी गठबंधन (election alliance) की पींगे बढ़ा रहे हैं, उससे तो लगता है अब उनकी पार्टी की ही मुसीबत बढ़ने वाली है. अखिलेश अब तक एक दर्जन के आसपास छोटी-बड़ी पार्टियों से गठबंधन कर चुके हैं और आगे भी कई अन्य दल उनसे जुड़ने को तैयार हैं. 

यह भी स्पष्ट है कि यह दल  नि:स्वार्थ तो सपा के खेमे में आ नहीं रहे हैं. बदले में वे अपने लिए हैसियत से चार पांच गुना ज्यादा सीटें मांग रहे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि क्या अखिलेश यादव अपनी पार्टी के हिस्से की सीटों की कुर्बानी देकर इन सब को बंटवारे में उनकी मांगी हुई सारी सीटें दे पाएंगे. राजनैतिक विश्लेषक इस बात की ओर भी इशारा कर रहे हैं कि सीट बंटवारे की जंग में जिस तेजी से ये दल अखिलेश के साथ आए हैं, उसी तेजी से वे उनका साथ छोड़कर भाग भी सकते हैं.

इतनी पार्टियां अखिलेश से जुड़ीं

सपा से गठबंधन जोड़ने वाली बड़ी पार्टियों की बात करें तो राष्ट्रीय लोक दल उनके बिल्कुल समीप आ चुका है. इसके अलावा आम आदमी पार्टी तथा ममता ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस से भी जल्द बात बन सकती हैं. जो पार्टियां अखिलेश की सपा के साथ औपचारिक गठबंधन कर चुकी हैं, उनमें ओमप्रकाश राजभर (Omprakash Rajbhar) की सुभासपा, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, अपना दल (कमेरावादी), महान दल, लेबर एस पार्टी, डेमोक्रेटिक पार्टी (सोशलिस्ट), पॉलीटिकल जस्टिस पार्टी, भारतीय किसान सेना, कांशीराम (Kanshi Ram) बहुजन मूल समाज पार्टी (सावित्रीबाई फुले) आदि मुख्य रूप से शामिल हैं. इसके अलावा हाल ही में अखिलेश अपने चाचा शिवपाल यादव (Shivpal yadav) प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को भी अपने साथ जोड़ने की बात कह चुके हैं. अब इतनी ज्यादा तादाद में पार्टियां अखिलेश के साथ आ चुकी हैं तो वह क्या इन सबको उनकी इच्छित सीटें बांट पाएंगे. 

छोटी-मोटी नहीं हैं इनकी मांगें 

जो भी दल अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी से जुड़े हैं उनकी मांगें कोई छोटी-मोटी नहीं है यदि जयंत चौधरी से गठबंधन का ऐलान जल्द हो जाता है तो सूत्रों के अनुसार वह अखिलेश से 40- 50 के आसपास सीटों की मांग करेंगे. इससे अखिलेश की बड़े तादाद में सीटों का कोटा तो यहीं खाली हो जाता है. महान दल पहले ही 10 सीटों की मांग सामने रख चुका है. अभी हाल ही में सपा से गठबंधन करने वाली कृष्णा पटेल (Krishna Patel) अपनी पार्टी अपना दल (कमेरावादी) के लिए पांच-सात सीटें मांग रहे हैं. ओमप्रकाश राजभर (Omprakash Rajbhar) की सीटों को लेकर महत्वाकांक्षा किसी से छुपी नहीं है और स्पष्ट है कि वह 20-25 सीटों से नीचे बात करेंगे नहीं. एक अन्य गठबंधन पार्टी डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट पार्टी जिसके मंच पर अभी हाल ही में अखिलेश नजर आए थे, वह भी 12 से 15 सीटों की डिमांड कर रही है. सावित्रीबाई फुले की कांशीराम बहुजन मूल समाज पार्टी अपने लिए तीन-चार सीटें मांग रही है. वहीं एक अन्य छोटी पार्टी पॉलिटिकल जस्टिस पार्टी भी 3 सीटों की मांग कर रही है.

120-130 सीटें गठबंधन धर्म के तहत बांटनी होंगी 

यदि आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और चंद्रशेखर रावण (Chandrashekhar Ravana) की भीम आर्मी से अखिलेश यादव की बात फाइनल हो जाती है तो वह भी एक ठीक-ठाक संख्या की सीटों की डिमांड सामने रखेंगे. ऐसे में देखा जाए तो अखिलेश यादव के आगे इन लोगों को 120-130 के आसपास सीटें गठबंधन धर्म के तहत बांटने की मजबूरी होगी. अखिलेश ने थोक के भाव में अपने साथ साथियों को जोड़ तो लिया है, अब क्या वे उनकी मांग के अनुसार सीटें दें पाएंगे, इसमें संशय ही है. इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि सीट बंटवारे की जंग में जिस तेजी से अखिलेश के साथ यह दल आए हैं, उनका साथ छोड़कर उसी तेजी से भाग भी सकते हैं.

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