मायका

मायका

 - प्रियंका वरमा माहेश्वरी

आज अम्मा कुछ उदास थी बहुत पूछने पर भी कुछ नहीं बताया। दोपहर में खाना खाने के बाद जब वह आराम करने अपने कमरे में गई तब फोन पर बात करने की आवाज आ रही थी। वैसे तो मेरी आदत नहीं छुपकर बात सुनने की लेकिन अम्मा को परेशान देखकर जिज्ञासावश रुक कर उनकी बातें सुनने लगी। शायद दूसरी ओर मासी सास थी और दोनों अपने भाई के बारे में बात कर रही थी। ष्मुन्नीए तुझे न्यौता आया है क्या रमेश अपने पोते का मुंडन करवा रहा है।

अम्मा. ष्नहीं दीदी! मुझे तो कोई बुलावा नहीं आया। कल कामनी से भी बात हुई थी मेरीए उसे भी नहीं बुलाया। शायद आजकल मैं फोन आ जाए। अब घर में कारज है तो काम भी बहुत होते हैं। आ जाएगा फोन।ष्

दीदीरू. ष्कितना धोखा देंगे हम अपने आपको और आखिर कब तकघ् पिछले साल राखी पर जानती हो ना क्या हुआ थाघ् हम तीनों जा रहे थे और उसने मना कर दिया था आने से कि हम लोग नहीं है यहाँ मत आओ। हमने जो राखी भेजी थी उसने बांधी भी नहीं। भाभी का भी कभी फोन नहीं आता। कभी झूठे मुंह बुलाती भी नहीं है।ष् दीदी एक ही बार में सब बोल गई।

अम्मारू. ष्क्या करें दीदी छोटा भाई है। मोह खत्म नहीं होता। आखिर हमें ही निभाना होगा।ष्

दीदीरू. ष्क्या निभाना होगाघ् उसके लिए कुछ भी लेकर जाओ तो दोनों मुंह बिचकाते हैं। हमें कुछ लेना देना तो दूर की बातए ठीक से बात भी नहीं करते। तुम जाने वाली हो क्या मुंडन मेंघ्ष् 

अम्मारू. ष्नहीं दीदी बुलाया नहीं तो कैसे जाऊंघ् महीने भर बाद सीतापुर जाऊंगी तभी मिलूंगी सबसे। शगुन भी तभी दे दूंगी।ष्

दीदीरू. ष्मुझे बताना कि कब जाओगीए तो मैं भी आ जाऊंगी और कामिनी को भी बोल देना।ष्

अम्मारू. ष्जीए बता दूंगी।ष्

अम्मा की बातें सुनकर मेरा मन विक्षोभ से भर गया और मुझे उन पर गुस्सा आने लगा कि जब मामा जी कभी उन्हें या अपनी बहनों को याद नहीं करतेए सम्मान नहीं देते तो क्यों उनसे मिलने के लिए इतनी व्याकुल होती हैंघ् क्यों उनसे कोई उम्मीद लगाए रहती हैंघ् यहां उन्हें किस बात की कमी हैघ् आखिर मायके का मोह छूटता क्यों नहीं हैघ्

दूसरे दिन भी मेरा मन खिन्न रहा और ऊपर से अम्मा का उदास चेहरा। मैं कुछ बोल तो नहीं सकती थी लेकिन उदासी भी नहीं देखी जा रही थी। मैंने ऐसे ही बातें करते हुए पूछा किए ष्अम्मा! सीतापुर कब जा रही होघ्ष् 

अम्मारू. ष्अभी तो नहींए क्यों पूछ रही होघ्ष्

मैंरू. ष्ना कुछ नहींए बस ऐसे हीए मैं सोच रही थी कि मम्मी के पास हो आऊं दो दिन।ष्

अम्मारू. ष्हां जाओए हो आओ।ष्

मैंरू. ष्अच्छा अम्मा इन दिनों मामा जी के यहाँ से कोई फोन नहीं हैघ् सरला जीजी बता रही थी कि टिंकू का मुंडन है।ष्

अम्मारू. ष् हां हैए कामकाज में व्यस्त होगा वह और दूर भी बहुत है। आ जाएगा फोन। मेरे तो घुटने में दर्द रहता है ठीक से चलना भी नहीं होताए क्या करूंगी वहां जाकर।ष्

मैं अम्मा की बातें ध्यान से सुन रही थी। अम्मा बात को ढक रही थी यह मुझे अच्छे से मालूम था। एक महीने के बाद अम्मा सीतापुर जाने के लिए कहने लगी उन्होंने बताया कि उनकी दोनों बहनें भी सीतापुर जाने वाली हैं यानि सब पहले ही तय हो गया था। हमने अम्मा की सीतापुर की टिकट करवा दी। फोन करके मामाजी को बता भी दिया गया था कि बीस तारीख को अम्मा आ रही हैं। लेकिन मामाजी अम्मा को लेने स्टेशन नहीं पहुंचे। तीनों बहने भाई के घर पहुंची।

भाभीरू. कैसी हो दीदी। जब शरीर साथ नहीं देता तो क्यों आना जाना करती हो।

अम्मारू. अरे भाभी बस मिलने की इच्छा को रोक नहीं पाती सो चली आती हूं। कहाँ है टिंकूघ् जरा देखूं तो उसे।

भाभी. सो रहा है।

अम्मा. भाभी! ये कमरा तो बहुत अच्छा करवा लिया। सुंदर लग रहा है ये सोफा नया लिया है क्याघ्

भाभीरू. हां! जगह जगह पलस्तर उखड़ रहा था तो ये कमरा ठीक करवाया। आपके भाई तो कर्जे से ही ऊपर नहीं आते। आजकल हाथ बहुत तंग रहता है। 

कुछ समय बिताकर अम्मा वापस लौट आने को हुई मगर भाभी ने अम्मा के हाथ पर नेग नहीं रखा। अम्मा दुखी मन से वापस लौट आईं। मगर वो टिंकू को शगुन देना नहीं भूलीं।

मैंने एक बात तो महसूस की है कि औरतें उम्र के आखिरी पड़ाव तक मायके का मोह नहीं छोड़ पाती हैं और दौड़ पड़तीं हैं सबसे मिलने। मैं अपने आसपास की ही आंटियों को देखती हूं। भाईए भाभीए भतीजे कोई याद नहीं करता सिर्फ औपचारिकता भर रहती है लेकिन आंटियां अपने मायके की बातें जरूर करती हैं। शायद बचपन और आधी जिंदगी वहीं बिताने के कारण। 

परिवार में उनके साथ बिताया समय धूमिल होने के बजाय शायद यादें और बढ़ जाती हैं। आखिर मैं भी तो अपना मायका भूल नहीं पाती और अक्सर दौड़ जाती हूं सभी से मिलने। जब तक मां होती है तब तक स्त्रियों में एक बच्ची जिन्दा रहती है लेकिन उनके ना रहने पर मां की झलक भाई भाभी में तलाशती है और शायद यही वजह है कि वो उम्र तमाम होने तक बगैर उनके चाहे भी वो उनसे मिलने दौड़ी चली आती है। मायका जहां एक स्त्री अपनी खोई हुई  जिंदगी तलाशती रहती हैं।

Posted By:- Kapil Dev Vishwakarma, Mob.- 9519364890

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