एड्स का जागरुकता ही बचाव है: लाल बिहारी लाल

एड्स का जागरुकता ही बचाव है: लाल बिहारी लाल

 विश्व एड्स दिवस पर विशेष



नई दिल्ली।
लगभग 200-300 साल पहले इस दुनिया में मानवों में एड्स का नामोनिशान तक नही था। यह सिर्फ अफ्रीकी महादेश में पाए जाने वाले एक विशेष प्रजाति  के बंदर में पाया जाता था । इसे कुदरत के अनमोल करिश्मा ही कहे कि उनके जीवन पर इसका कोई प्रभाव नही पडता था। वे सामान्य जीवन जी रहे थे। ऐसी मान्यता है कि सबसे पहले एक अफ्रीकी युवती इस बंदर से अप्राकृतिक यौन संबंध स्थापित की और वह एड्स का शिकार हो गई क्योकि अफ्रीका में सेक्स कुछ खुला है  फिर उसने अन्य कईयों से यौन संबंध बनायी और कईयों ने कईयों से इस तरह  एक चैन चला और अफ्रीका महादेश से शुरु हुआ यह एड्स की बीमारी आज पूरी दुनिया को अपने आगोश में ले चुकी है। 

आज पूरी दुनिया में 40 मिलियन के आसपास एचण्आईण्बीण्पाँजिटीव है इनमें  से 25 मिलियन तो डिटेक्ट हो चुके हैं जिसमें सिर्फ अमेरिका में ही 1 मिलियन इस रोग से प्रभावित हैं।हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्रसंघ की ताजा रिपोरट के अनुसार एचण्आईण्वीण् से प्रतिदिन 6ए800 लोग संक्रमित हो रहें हैं तथा कम से कम 5ए700 लोग एड्स के कारण मौत को गले लगा रहे । अर्थात विश्व में प्रति मिनट लगभग 25 लोग काल को गाल में समा जाते है।  संयुक्त राष्ट्र संघ के ताजा आंकड़े के हिसाब से  36ण्9 मिलीयन ग्रसित थे जिससमें 21 मिलीयन एंटी रेटेरोवायरल दवाई ले रहे है औऱ 2017 में ही 1ण्8 मिलीयन इसके शिकार हुए है।

वही  भारत की  बात  करें तो 2017 में 2ण्1 मिलियन एड्स संक्रमित थे । 88ए000 नये  मरीज  बढ़े वही 69ए000 की  मौत  हुई  और  56 प्रतिशत ब्यस्क रिट्रोवायरल  दवा  ले  रहे  थे। अपने देश में 1986 में पहला केस आया था। भारत सरकार ने ऱाष्ट्रीय एड्स कंट्रोल आर्गेनाजेशन ;नाकोद्ध बनाया है और 2024 तक भारत को इस पर काबू करने का लक्ष्य है। भरत में इसके रफ्तार को काबू में कर लिया गया है।  अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान  में भी  एड्स पैर पसार चुका है। 2018  में 22ए000 मरीज पंजीकृत थे  वही आज 1ए65ए000 से  ज्यादा केस हो  चुके  है ।  पिछले  साल  तक  36ए924  पंजीकृत थे और 20ए994  का  इलाज चल  रहा  है।    

भारत में कुछ मशहूर रेड लाइट एरियादृमुम्बईएसोना गाछी ;कोलकाताद्धए बनारसए चतुर्भुज  स्थान ;मुज्जफरपुरद्धए मेरठ एवं सहारनपुर आदि है। उनमें कुछ साल पहले तक तो सबसे ज्यादा सेक्स वर्कर मुम्बई में इस एड्स से प्रभावित थे पर आज एड्स से सबसे ज्यादा प्रभावित सेक्स कर्मी लुधियाना;पंजाबद्ध में है और राज्यो की बात करे तो सर्वाधिक महाराष्ट्र में है। इसके बाद दूसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश है।

इस बीमारी के फैलने का मुख्य कारण ;80.85 प्रतिशतद्ध असुरक्षित यौन संबंध के कारण ;तरल पदार्थ के रुप में बीर्यद्ध . ब्यभिचारियोंए बेश्याओंए वेश्यागामियों एंव होमोसेक्सुअल है।इसके अलावे संक्रमित सुई के इस्तेमाल किसी अन्य के साथ करनेएसंक्रमित रक्त चढाने  तथा बच्चों में मां के जन्म के समय 20 प्रतिशत का जोखिम और स्तनपान के समय 35 प्रतिशत का जोखिम रहता है एड्स के फैलने का। 

इस बीमारी के चपेट में आने पर एम्यूनी डिफेसियेंसी;रोग प्रतिरोधक क्षमताद्ध कम हो जाती है।जिससे मानव काल के ग्रास में बहुत तेजी से बढ़ता  है और अपने साथी को भी इस चपेट मे ले लेता है। अतः जरुरी है कि आप अपने साथी से यौन संबंध बनाने के समय सुरक्षित होने के लिए कंडोम का प्रयोग अवश्य करें। सन 1981 में इसके खोज के बाद अभी तक 30 करोड से ज्यादा लोग काल के गाल में पूरी दुनिया में समा चुके हैं। इसके लक्षणों में मुख्य रुप से लगातार थकानएरात को पसीना आनाएलगातार डायरियाएजीभध्मूँह पर सफेद धब्बेएएसुखी खांसीएलगातार बुखार रहना आदी प्रमुख हैं।

इस बीमारी को फैलने  में भारत के ग्रामिण  इलाके में गरीबी रेखा से नीचे एअशिक्षाएरुढीवादिताएमहँगाई और बढती खाद्यानों के दामों के कारण पापी पेट के लिए इस कृत;पापद्ध को करने पर उतारु होना पडता है। इससे बचने के लिए सुरक्षा कवच के रुप में कंडोम का उपयोग एवं साथी के साथ ही यौन संबंध बनायें रखना ही सर्वोत्म उपाय है ।

इसके साथ ही अपने शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के  लिए आयुर्वेद पध्दति अपनाना  चाहिये। जिसमें गेंहू के ज्वारेए गिलोयए तुलसी के पतेएबेल के फल का रस अपना के इससे लड़ा जा सकता है। इसके साथ ही साथ ही कुछ शारीरीक ब्यायाम दृसाइकिल चलानाएतैराकी करनाए पैदल चलनाएएरोबिक करने से भी इसे कम करने में मदद मिलेगी। होमियो पैथी में भी एमयुनी बढ़ाने की कई दवाये है। अमेरिका में इसके दवाई बनाने के लिए हुए कुछ परीक्षण में सफलता मिली है। बंदरो पर हुए टेस्ट में हमें कामयाबी मिली है।

दुनिया में 186 देशो से मिले आकडो पर आधारित एचआईवीध्एड्स ग्लोबल रिर्पोट.2012 के मुताबिक  भारत में 2001 से 2011 के मुकावले नए मरीजो की संख्या में 25 प्रतिशत की कमी आई है। 40.55 प्रतिशत मरीजो को एंटी रेटेरोवायरल दवायें उपलब्ध है। लेकिन अभी भी विश्व में इसका खतरा टला नहीं है। बर्ष 2011 में 20ण्5 करोड लोग इसके चपेट मे आयें हैं। जबकि 50 प्रतिशत की कमी आई है।

रिर्पोट के अनुसार 2005 से 2011 के बीच पूरी दुनिया में 24 प्रतिशत कम मौत दर्ज की गई है। यह अच्छी बात है पर अभी भी इसके लिए जागरुकता की सख्त जरुरत है। इस संदर्भ में सबसे पहले 1977 में ही वैज्ञानिकों ने  इसके प्रति सचेत  हो गये थे औऱ विश्व भर के  200 से ज्यादा  वैज्ञानिकों का एक  सम्मेलन अमेरिका में  हुआ था पर संयुक्त राष्ट्र संघ के पहल पर  आम जन को जागरुक करने के लिए 1988 से प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाते हैं  तथा  जागरुकता को  आगे बढ़ाने और जन.जन तक  पहुंचाने के लिए टीका या वैक्सीन दिवस भी हर  साल 18  मई  को  मनाते  है। क्योंकि जारुकता ही इसका  बचाव है।

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