सियासी माहिरीन का मानना है कि ओम प्रकाश राजभर एक अच्छे वक्ता और ओबीसी समाज में उनकी पकड़ ठीक ठीक है. उन्हें यूपी की जमीनी हकीकत इल्म है और वह ऐसे नेता हैं जो अपनी बातों पर अडिग रहते हैं. साथ-साथ वह सियासी हवा का वह अंदाज़ा लगाने में भी माहिर हैं. यही वजह है कि राजभर की राजनीतिक ताकत का अहसास सपा के साथ भाजपा को भी है. साल 2017 में उन्होंने बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. इस बार भी जब राज्य में चुनाव के लिए गठबंधन का दौर चल रहा था उस समय भाजपा की तरफ से कई बार उन्हें अपने साथ लाने की कोशिश की गई थी, पर बात बनी नहीं.
ओम प्रकाश राजभर इस बार सपा के साथ गठबंधन करके चुनावी मैदान हैं. उनकी पार्टी 18 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. भाजपा से रिश्ता तोड़ने व मंत्री पद छोड़ने के बाद से ही राजभर अपने मुद्दों को लेकर लगातार मुखर हैं. वह जातीय जनगणना, मुफ्त शिक्षा, शराबबंदी जैसे मुद्दों को लेकर वह जनता के बीच हैं.
साल 1968 फत्तेपुर खौंदा सिंधौरा, वाराणसी में ओम प्रकाश राजभर जन्म हुआ. 1996 में बसपा के टिकट पर कोलअसला (अब पिंडरा) पर चुनाव लड़ा, लेकिन हार मिली. साल 2002 में राजभर ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की बुनियाद रखी. 2014 में खुद सलेमपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन उनको महज 66,084 वोट मिले. साल 2017 में उनकी पार्टी को चार सीटें मिलीं, उनमें एक राजभर भी थे.