अम्बेडकरनगर। एक तरफ चुनाव आयोग अधिक से अधिक मतदान करने व उम्र पूरी कर चुके युवाओं को मतदाता बनने के लिए तमाम प्रयास व जागरूकता अभियान चलाता है तो दूसरी तरफ आयोग के मंसूबे पर हर चुनाव में वोटर लिस्ट से गायब होते सैकड़ों मतदाताओं के नाम पानी फेर रहे हैं।
आखिर वे कौन लोग हैं अथवा क्या कारण है कि जो मतदाताओं को वोट देने से वंचित कर देती है। गुरुवार को हुए चुनाव में हर बूथों पर ऐसे मतदाताओं की अच्छी खासी तादाद थी जो उत्साहित होकर मतदान केंद्र पहुंचे मगर सूची में नाम न होने के कारण निराश होकर घर लौट आये। इनमें ज्यादातर मतदाता ऐसे थे जो अभी एक वर्ष पहले ग्राम पंचायत के चुनाव में वोट दे चुके थे, मगर सूची में नाम न होने से मनपसंद विधायक को अपना वोट नहीं दे पाये।
उदाहरण के तौर पर किसी एक ग्राम पंचायत को ले लिया जाये तो जलालपुर की ग्रामसभा कैथा में ग्राम पंचायत के चुनाव में कुल 953 मतदाता थे मगर विधानसभा चुनाव के लिए आई सूची में 796 ही मतदाताओं के नाम थे। आखिर सूची से नाम कौन कटवा देता है या कहां से चूक होती है इस तरफ किसी की निगाह नहीं जाती।