अम्बेडकरनगर। चाहे मोदी लहर हो या फिर योगी। दोनों सुनामी में भी जिले की पाँचों विस सीटों से बीजेपी नहीं जीत सकी। हालांकि इस बार बीजेपी तीसरे से दूसरे स्थान पर जरूर पहुंच गई, लेकिन वह जीत के आंकड़े से दूर रही। इसे संगठन की नाकामी कहें या फिर पार्टी उम्मीदवारों की किस्मत कि यहाँ की विस सीटों पर कमल नहीं खिल पाया।
जिले में बीजेपी जनाधारविहीन हो गई है। इसलिए अब बीजेपी को किसी भगीरथ का इंतजार है। आपसी गुटबाजी और संगठन में बैठे जनाधारविहीन नेताओं ने विधानसभा चुनाव में जिले में बीजेपी की लुटिया डुबोकर रख दी। यही वजह रही कि 2022 में योगी लहर में भी बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया। आपसी गुटबाजी के चलते बीजेपी 2017 में जीती 2 सीटों को भी गंवा बैठी।
बीजेपी नेताओं के आपसी मतभेद से संगठन हाशिये पर पहुंच गया है। इसके चलते बीजेपी का जनाधार कम होता चला जा रहा है। सूत्र बताते हैं, पुराने नेताओं को दरकिनार कर कुछ नए नवेले युवा लखनऊ से सेटिंग कर पार्टी में बड़े पद पर आसीन होकर पार्टी को दीमक की तरह चाट कर खत्म कर रहे हैं। पार्टी में आपसी मतभेद इस कदर है कि सेटिंग से मनचाहे पद पर बैठकर सत्ता की मलाई काटी जा रही है।
भाजपा की पांचों सीट पर हार को लोग सांगठनिक विफलता मान रहे हैं। कारण टिकट वितरण से लेकर चुनाव प्रचार तक भाजपा संगठन के बीच सामंजस्य देखने को नहीं मिला था, जिसका खामियाजा भाजपा को पांचों सीटों पर पराजय के रूप में देखने को मिली। बीजेपी के कई बड़े पदों पर आसीन नेता कई विधानसभा में आपसी मतभेद के चलते प्रचार तक करने से बचते रहे। यही सब कारण रहा कि बीजेपी हाशिये पर जाकर सिमट गई।
भाजपा को पिछली बार 2 सीटों टांडा और आलापुर विधानसभा से जीत मिली थी, लेकिन इस बार दोनों सिटिंग विधायकों का टिकट काटकर नए प्रत्याशियों पर भरोसा जताया गया। इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ और इसके बावजूद सभी सीटों पर पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा।