-प्रियंका वरमा माहेश्वरी
मां वंदनीय होती है साथ ही हाड़ मांस के शरीर को जीवन देने वाली सृजनहार भी होती है शायद इसीलिए माता-पिता की तुलना भगवान से की जाती है लेकिन आज विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि इस सोच पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। आज विज्ञान धीरे-धीरे असंभव को संभव बनाने में लगा हुआ है, सरोगेट मदर विज्ञान की खोज का नतीजा है। सेरोगेट मतलब "किराए की कोख" एक महिला दूसरे विवाहित जोड़े के बच्चों को जन्म देती है। शुरुआती दौर में जो महिला मां नहीं बन पाती थी वो किराए की कोख के द्वारा मातृत्व प्राप्त करती थी, लेकिन धीरे-धीरे अब यह व्यापार का रूप लेती जा रही है।
सरोगेसी भारत में उड़ीसा, भोपाल, केरल, तमिलनाडु और मुंबई आदि जगहों पर ज्यादा चलन में है। एक जानकारी के अनुसार पर्यटन स्थलों पर यह धंधा अच्छी तरह से फल फूल रहा है। पर्यटन स्थलों पर विदेशियों को सेरोगेट मदर आसानी से मिल जाती है, बाकायदा एक अच्छे पैकेज के ऑफर के साथ। भारत में सेरोगेसी ज्यादा आसान है क्योंकि यहां ज्यादा कानून नहीं है और दूसरे भारत गरीबी और पैसे का मोह इस काम को बढ़ावा दे रहा है। भारत में सरोगेट मदर तीन से चार लाख में मिल जाती है जबकि विदेशों में 30 से 40 लाख तक में मिलती है।
आजकल सेरोगेसी जरूरत नहीं बल्कि फैशन बनते जा रहा है। एक वक्त था कि जरूरत पड़ने पर या मजबूरी में ही जब कोई स्त्री मां नहीं बन पाती थी तब सरोगेसी का सहारा लिया जाता था। आज स्त्री अपना समय और शरीर खराब नहीं करना चाहती हैं। मोटे रकम की एवज में जरूरतमंद स्त्रियां इस काम को और भी सुलभ करती जा रहीं हैं।
एक वक्त वह भी था जब ऑपरेशन के जरिए बच्चा पैदा होने पर घर में हाय तौबा मचा जाती थी और बड़े बूढ़ों को भी अक्सर कहते सुना था कि ऑपरेशन से हुये बच्चों पर मां की ममता उतनी नहीं रहती जितनी नॉर्मल डिलीवरी वाली मां के प्रेम में होती है। आज अगर वो लोग सेरोगेसी के द्वारा बच्चे पैदा होते देख लेते तो निश्चय ही विरोध के स्वर तो उठते ही। कोई स्त्री अगर मां बनने में अक्षम है तो उसके लिए सरोगेसी या टेस्ट ट्यूब बेबी अनिवार्य है क्योंकि उसके पास कोई विकल्प नहीं है लेकिन जो स्त्री शारीरिक रूप से सक्षम है स्वस्थ है और बच्चे की इच्छा भी रखते हैं तो उन्हें खुद बच्चे को जन्म देना चाहिए ना कि सरोगेसी का सहारा लेकर। सिर्फ समय और शरीर खराब होने के डर के कारण वो उस बच्चे पर कितनी ममता लुटा पाएंगे? और क्या बिना वजह, बिना जरूरत के सेरोगेसी के द्वारा बच्चे को जन्म देना सही है?
एक स्त्री तभी पूर्ण होती है जब बच्चे को जन्म देकर मातृत्व की भूमिका अदा करती है। अब सवाल यह उठता है कि यदि महिलाएं कैरियर और सफलता की भागदौड़ के पीछे बच्चे को जन्म देने से कतरायेंगी तो इनकी तो मातृत्व बिकाऊ हो जाएगी। आज जरूरी हो गया है कि इस पर भी एक कानून बनना चाहिए। आज जरूरी है कि मातृत्व को नजरअंदाज ना करके सेरोगेसी को समस्या के निदान के रूप में प्राथमिकता दी जानी चाहिए।