यूपी में राजनीति में कई ऐसे महारथी हैं, जो दशकों से अपने क्षेत्र की जनता के बल पर माननीय का ताज पहने हुए हैं। विधानसभा में भले किसी राजनैतिक दल का जोर और बहुमत हो। लेकिन, ये दिग्गज चुनाव जीत कर सदन पहुंचते रहे हैं। इनके रास्ते में न तो कभी किसी की लहर रोड़ा बनी और न ही कोई मुद्दा।
वरिष्ठ सपा नेता आजम खां रामपुर शहर सीट से नौ बार विधायक रहे हैं। 2019 में लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने विधानसभा की सीट छोड़ दी थी। उपचुनाव में उनकी पत्नी जीतीं। इस बार फिर आजम खां इसी सीट से चुनाव लड़े और 10वीं बार जीत हासिल की। मालूम हो कि भ्रष्टाचार, मानहानि और नफरत फैलाने जैसे मामलों के आरोप में जेल में बंद हैं।
शाहजहांपुर शहर सीट पर पिछले 33 साल से सुरेश कुमार खन्ना का कब्जा है। योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना इस सीट से नौवीं बार जीते हैं। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी सपा के तनवीर खान को हराया। रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया कुंडा सीट से 1993 से 2017 तक लगातार छह बार निर्दल चुनाव जीते। इस बार वह अपनी पार्टी जनसत्ता लोकतांत्रिक से लड़े और जीते।
बांसी रियासत के जय प्रताप सिंह ने बांसी सीट से आठवीं बार जीत हासिल की है। जय प्रताप 1989 और 1991 का चुनाव निर्दल जीते और फिर भाजपा के टिकट पर अभी तक जीतते आ रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के पुत्र फतेह बहादुर सिंह छह बार विधायक रहे। वह चार बार पनियरा सीट से चुनाव जीते। परिसीमन के बाद यह सीट बदली तो 2012 के बाद से वह कैंपियरगंज से चुनाव जीत रहे हैं। इस बार वह भाजपा के टिकट पर लड़े और जीते।