अम्बेडकरनगर: सीएमओ ऑफिस के बहुचर्चित सहायक के आगे दिग्गज मीडिया परसन्स ने घुटने टेके

अम्बेडकरनगर: सीएमओ ऑफिस के बहुचर्चित सहायक के आगे दिग्गज मीडिया परसन्स ने घुटने टेके


कई महीनों से इस बाबू के खिलाफ नहीं वायरल हो रही हैं खबरें

प्रतिदिन शाम को दर्जनों प्रभावशाली लोगों के साथ लेता है डिनर

खाने पीने के खर्चे के मामले में बालीवुड स्टार सलमान खान को पीछे छोड़ा इस बाबू ने


अम्बेडकरनगर। (रेनबोन्यूज समाचार सेवा)।  जिले के बड़े हाकिम और अन्य महकमों के विभागाध्यक्ष तथा अकूत कमाई करने वाले कथित दबंग एवं प्रभावशाली सरकारी मुलाजिमों के बारे में जिक्र किया जाना जरूरी हो गया है। स्वास्थ्य विभाग का एक मुलाजिम जिसका खुद का अपना खर्चा अकेले पर 4 से 5 हजार रूपए प्रतिदिन का है। ठीक उसी तरह शिक्षा विभाग (बेसिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा) के वर्षों से जमे जमाये कई सहायकों के बारे में सोशल मीडिया संवाद प्रकाशित व प्रसारित करती आ रही है। 

मीडिया का वह हर प्रयास जिसमें इन सहायकों के पटल परिवर्तन और तबादले का जिक्र होता रहा है या होता है विफल जा रहा है। यानि मीडिया लिखते-लिखते थक-हार कर खामोशी अख्तियार कर रही है उधर ये सहायक अपने विभागाध्यक्षों का चहेता बने हुए धन कमाई में मशगूल हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुखिया सी.एम.ओ. ऑफिस में तैनात एक सहायक ने तो मीडिया की सुर्खियों और जुबानी चर्चाओं में रहने का सभी कीर्तिमान ध्वस्त कर दिया है। 

हमें मिली जानकारी के अनुसार इस महाचर्चित बाबू के पास दर्जनों महत्वपूर्ण पटल है। बताया गया है कि इसका याराना प्रदेश की राजधानी में रह रहे एक ऐसे मीडिया परसन से है जिसका सम्बन्ध मुख्यमंत्री से है। उक्त मीडिया परसन के प्रभाव को स्वहितार्थ इस्तेमाल करने वाला अम्बेडकरनगर के सीएमओ कार्यालय का महाचर्चित सहायक के ऊपर मीडिया में छपी नकारात्मक खबरों का कोई असर नही होता। 

इस महकमे में 20 साल से अधिक की अवधि से मृतक आश्रित कोटे से सहायक के रूप में नियुक्त हुए स्थानीय बाबू का जलवा है। बीते वर्ष जुलाई महीने में हुए व्यापक तबादले की जद में यह ग्रेट पॉपुलर एण्ड डिस्प्यूटेड सहायक भी आया परन्तु कथित रूप से फर्जी तौर पर दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर इसने शासन और विभाग के उच्चाधिकारियों को गुमराह कर दिया और अपना तबादला करवा लिया। बताते हैं कि स्वास्थ्य महकमे में कई दर्जन चार पहिया वाहन इसी के इशारे पर इसके लोगों के अनुबन्धित किये गये हैं। 

जिले के स्वास्थ्य महकमे में पीएचसी, सीएचसी और अन्य बड़े सरकारी अस्पतालों में आवश्यक उपकरण, दवाएँ, कुर्सी-मेज, बिस्तर, मरीजों के चद्दर आदि आपूर्ति किए जाने का जिम्मा इसी महान सहायक को मिला हुआ है। विभाग के अन्य सहायक व कर्मचारी जो इस चर्चित बाबू के उत्पीड़न का शिकार हैं, सभी ने दबी जुबान से बताया कि जब एक ही बाबू पूरे विभागीय कार्यालय का कार्य संभाल रहा है और हम लोगों को कोई पटल दिया ही नहीं गया तो क्या औचित्य है कि हम लोग यहां रहें। 

खबरीलाल जो मीडिया के सक्रिय इन्फॉर्मर हैं के अनुसार सीएमओ, अन्य अधिकारी व विभागीय कर्मचारी इस सहायक के आगे नतमस्तक हैं। शिकायतें लाख की जायें स्वास्थ्य महकमे का मुखिया इस बाबू की पहुंच और प्रभाव तथा दबंगई के आगे कुछ भी कर पाने में अक्षम है। इस सहायक के बारे में स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विभाग से सम्बन्धित सामग्रियां, दवायें, फर्नीचर, अन्य उपकरण जिले में इसी के हित-मित्रों, ठेकेदारों व छद्म नाम से खोली गई फ्रेन्चाइजीज द्वारा आपूर्ति कराई जाती है। इस तरह लाखों-करोड़ों रूपए प्रति वर्ष की कमाई होती है। जिसका कमीशन यह बाबू अपने मीडिया मित्र और विभाग के अधिकारियों में बांट देता है। 

2020 कोरोना काल में इस स्वास्थ्य विभाग के बाबू के कारखानों निर्मित मास्क, बेडसीट और अन्य आवश्यक स्वास्थ्य सामग्रियों की जो सप्लाई शुरू हुई वह अभी तक जारी है। सुपुष्ट सूत्रों के अनुसार इस बाबू के कारनामों का जब-जब स्थानीय मीडिया ने जिक्र करते हुए सम्बन्धित खबरों का प्रकाशन व प्रसारण किया तब-तब लखनऊ में बैठे सी.एम. कार्यालय और आवास में अपनी पहुंच रखने वाले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रदेश ब्यूरो ने इसको बचाया है। और यह भी कहा है कि तुम अपना काम बेधड़क पूर्व की भांति करते रहो। जब तक मैं हूं तब तक जिले के अधिकारी से लेकर प्रदेश के मुखिया तक कोई तुम्हारा कुछ नहीं कर पायेगा।

बात भी कुछ ऐसी है। जिले के मीडिया में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने वाले लगभग सभी धर्नुधरों ने अपने धनुष बाण रख दिये और जिले में अंगद का पांव बने इस बाबू के आगे नतमस्तक हो गये। हमारे खबरीलाल के अनुसार बॉलीवुड के स्टार सलमान खान के प्रतिदिन भोजन का खर्च 8 से 10 हजार होता है वहीं यह सहायक 4 से 5 हजार रूपए प्रतिदिन खाने-पीने में खर्च कर देता है। हर शाम इसके कारखाने, फैक्ट्री के कमरों में इसके मीडिया के घनिष्ठ मित्रों, प्रभावशाली ठेकेदारों एवं अन्य दबंग लोगों का जमघट होता है। जहाँ हन्ड्रेड पाइपर्स नामक महंगी शराब और लजीज नॉनवेज भोजन का लुत्फ उठाया जाता है। 

इस कारखाने के इर्द-गिर्द दर्जनों लग्जरी गाड़ियां हर शाम आकर खड़ी हो जाती हैं और खाने पीने का सिलसिला देर रात तक चलता रहता है। इस पर आने वाला खर्चा इस स्वास्थ्य विभाग के मुलाजिम द्वारा उठाया जाता है। कहते हैं कि खाने-पीने, पहनने, ओढ़ने आदि क्रियाओं में हजारों रूपए प्रतिदिन खर्च करने वाले इस मुलाजिम द्वारा प्रतिमाह 2 से ढाई लाख रूपए अपने दोस्त मण्डली को खाने-खिलाने में खर्च किया जाता है। 

बाबू को बटवृक्ष कहा जाये या फिर अंगद का पांव, दोनों विशेषण इस पर चरितार्थ होंगे। सोशल मीडिया में सक्रिय रहकर अपने को चर्चित पत्रकार कहलाने वाले कई कथित/तथाकथित धुरंधरों ने अपने धनुष बाण रख दिये। अब...............इस समय सी.एम.ओ. कार्यालय के इस बाबू के बारे में कई महीनों से किसी ने भी एक शब्द नहीं लिखा है। खबरी लाल के अनुसार उक्त सहायक ने इन मीडिया परसन्स को मैनेज करके अपने पक्ष में कर लिया है। यही कारण है कि अब कोई इसके खिलाफ सही और तथ्यपरक खबरें न लिख रहा है न छाप रहा है और न ही वायरल कर रहा है। इन सभी ने घुटने टेक दिये हैं और समय-समय पर उक्त बाबू से खाने-पीने के लिए आ जाते हैं।  

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