आलापुर तहसील क्षेत्र में लेखपालों का काकस विकास में बाधक

आलापुर तहसील क्षेत्र में लेखपालों का काकस विकास में बाधक


-सत्यम सिंह 

अंबेडकरनगर ( रेनबोन्यूज समाचार सेवा ) ।  आलापुर तहसील में कुछ लेखपालों का मजबूत काकस कई वर्षों से व्यवस्था पर ग्रहण बना हुआ है। अपने गृह क्षेत्र में जमे कुछ लेखपाल ही प्रमुख भूमिका में हैं। वे शासन की योजनाओं को लागू करने में बड़ी बाधा बने हैं। शिकायतों की जांच हो या कोई रिपोर्ट लगानी हो, जरूरतमंदों को दौड़ाना इनकी आदतों में शुमार है। जिम्मेदार भी बिना सही-गलत जाने आंखें बंद कर इन्हीं रिपोर्टों के आधार पर कार्रवाई करते रहे हैं। ऐसे में समस्याओं का निस्तारण न हो पाने से तहसील का चक्कर लगाते-लगाते पीड़ितों की चप्पलें तक घिस जाती हैं। न जाने कितने युवा समय पर रिपोर्ट न लगने के कारण नौकरियों की लाइन से बाहर हो जाते हैं। खसरा बनाने को लेकर भी यही हाल है।लेखपालों की ऐसी हरकतों को शह देने में काफी हद तक तहसील के अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। बिना खसरा बने व जमा हुए ही शासन को हर साल इनके जमा होने की रिपोर्टें भेजी जाती हैं। अब शासन की समीक्षा के बाद एकाएक लेखपालों पर खसरा बनाने के दबाव बनाए जाने लगे तो वे ना-नुकुर करने लगे। इससे विवाद बढ़ा। राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना का भी यही हाल है। समय से रिपोर्ट न लगने के चलते वित्तीय वर्ष समाप्त होते ही कई परिवार शासन की इस महत्वपूर्ण योजना के लाभ से वंचित हो गए और इस मद में आया धन वापस हो गया। इसकी समीक्षा शुरू हुई तो लेखपाल लापरवाह होने के दोषी पाए गए। करीब 26 लेखपाल कार्रवाई की जद में आए। एसडीएम मोहनलाल गुप्त ने गत दिवस लेखपाल अनुज प्रताप वर्मा को प्रतिकूल प्रविष्टि दी। लेखपाल राम सजीवन वर्मा को भी नोटिस देने की तैयारी के साथ उसे बुलाया गया तो वह यहां पहुंचने से पहले ही संदिग्ध हालात में गायब हो गया। पहले से बिगड़ी इस व्यवस्था पर जब हाकिम ने चोट की और बदलाव का प्रयास किया तो एक बार फिर टकराव शुरू हो गया। एसडीएम ने बताया कि योजनाओं का क्रियान्वयन कराना पहली प्राथमिकता है। लापरवाही मिलने पर ही जवाबदेही तय कर संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है।हाकिम व अधीनस्थों के बीच मर्यादाओं का नहीं रखा ख्याल : गत वर्ष नवंबर में मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान में लापरवाही पर कार्रवाई शुरू हुई तो टकराव भी चालू हो गया। हाकिम व अधीनस्थों के बीच मर्यादाओं का ख्याल नहीं रखा गया। एसडीएम स्तर से मामला शांत हुआ तो कुछ माह बाद कार्रवाई वापस न लेने को लेकर एक बार फिर टकराव शुरू हो गया। एक दिन की सुर्खियां बटोरने के बाद यह नए मोड़ पर तब आ गया, जब कार्यों के प्रति लापरवाही में कार्रवाई की जद में आया लेखपाल राम सजीवन वर्मा अचानक गायब हो गया। गत वर्ष नवंबर में लेखपालों से टकराव के बाद एसडीएम मोहनलाल गुप्त ने जहांगीरगंज थाने में लेखपाल संघ अलापुर अध्यक्ष राम सिधार, जयदेव पांडेय व अब गायब रामसजीवन वर्मा के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराते हुए निलंबन की कार्रवाई की थी। एसडीएम के विरुद्ध भी मुकदमा दर्ज कराने व अन्य कार्रवाई को लेकर लामबंद हुए लेखपाल उच्चाधिकारियों से वार्ता के बाद काम पर लौट आए, लेकिन उन्हें निलंबन वापसी से ही संतोष करना पड़ा। लेखपाल मुकदमा भी वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। गायब लेखपाल की पत्नी मिथिलेश द्वारा बदली तहरीर के आधार पर पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर जांच शुरू कर दी, लेकिन लेखपाल के गायब होने पर घटना के चौथे दिन भी रहस्य बरकरार रहा।

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