परिवहन महकमा में व्याप्त भ्रष्टाचार से लोग त्रस्त
अधिकारियों ने पाले हैं बाहरी गुर्गे, जो संभाल रहे हैं इनकी अर्थव्यवस्था
रिपोर्ट:- सत्यम सिंह
अंबेडकरनगर। एक कहावत है कि कुत्ते की पूंछ कभी भी सीधी नहीं हो सकती। ठीक इसी तरह जिले का परिवहन महकमा है, जहां दलाली, वसूली और व्याप्त भ्रष्टाचार समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। अनेकों बार इस परिवहन कार्यालय का औचक निरीक्षण बड़े हाकिम व अन्य अधिकारियों द्वारा किया जा चुका है। इस औचक निरीक्षण के समय ही एआरटीओ कार्यालय में अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिलता है। चेकिंग अथॉरिटी के जाने के बाद वहां का माहौल पूर्वतः हो जाता है। एआरटीओ अंबेडकर नगर के अधिकारियों और कर्मचारियों के रवैये के बारे में कतिपय समाजसेवी, नेता, मीडिया पर्सन्स और अन्य प्रकार के सामाजिक ठेकेदारों ने अनेकों बार आवाजें उठाई हैं। परंतु, नतीजा ढाक के तीन पात। यानि इस महकमे के कार्यालय में दलाली, भ्रष्टाचार खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। सोशल मीडिया में इस समय एआरटीओ दफ्तर में कार्यरत मुलाजिमों की कार्यप्रणाली से संबंधित खबरें एक बार फिर से प्रसारित होना शुरू हो गई हैं।
सोशल मीडिया के आलेखों के अनुसार, इस महकमे में व्याप्त भ्रष्टाचार की इमारत का आधार इसमें कार्यरत अधिकारीगण ही हैं। इन अधिकारियों की शह पर दलाली और भ्रष्टाचार पुष्पित व पल्लवित हो रहा है। इसकी जड़ें बहुत गहरी हो चुकीं हैं । खबरों के अनुसार, इस महकमे में दर्जनों प्राइवेट कर्मचारी और दलाल कार्यालय के अंदर बैठकर विभागीय कार्य कर रहें हैं, जिन्हें देखकर यह नहीं कहा जा सकता कि इनका ताल्लुक विभाग से नहीं हैं । इन्हें लोग पहचानते भी नहीं हैं। कहा गया है कि इन प्राइवेट कर्मचारियों की वजह से अफसरों द्वारा किया जा रहा भ्रष्टाचार कॉफी हेल्दी होता जा रहा है । एक तरह से ये कर्मचारी विभागीय अफसरों के लिए कार्य कर रहें हैं। ये लोग वसूली करते हैं और पैसा अफसरों तक पहुंचाते हैं।
इसके अलावा, खबर में यह उल्लेख है कि एआरटीओ कार्यालय के छोटे से लेकर बड़े अधिकारी अवैध कमाई में ही जुटे हुए हैं, जैसे गुड़ में चीटें। इन मुलाजिमों का ध्यान जनसुविधाओं की तरफ नहीं है। वायरल हो रही खबर में लिखा गया है कि एआरटीओ दफ्तर में इन दिनों जमकर वसूली की जा रही है। एक तरह से विभाग की बागडोर दलालों के हाथों में है। आश्चर्य है कि इस कार्यालय के गोपनीय दस्तावेज भी बाहरी लोग और दलाल खुलेआम लेकर घूम रहें हैं। एक तरह से इस महकमे के दफ्तर में दलालों के इशारों के बगैर पत्ता भी नहीं हिलता है।
खबर में कहा गया है कि परिवहन महकमे के भ्रष्ट अधिकारियों व सहायकों के संबंध माफिया दलालों से हैं। जिनके साथ इनका उठना-बैठना रहता है। दलालों की सीधी पहुंच उच्च अधिकारियों तक बताई जाती है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों से सारे कार्य ऑनलाइन व्यवस्था के तहत हो रहें हैं। फिर भी बिचौलियों, दलालों और अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। इन दलालों के बारे में कहा गया है कि वाहनों की फिटनेस से लेकर अन्य कार्य बगैर इनके हो पाना बड़ा मुश्किल है। ऑनलाइन व्यवस्था होने के बाद, वाहन स्वामियों को परेशानी से काफी मुक्ति मिली है। मसलन ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कार्य डीलरों के यहां ही हो जाता है। वाहन डीलर भी वाहन खरीदने वाले लोगों से ऑनलाइन सभी दस्तावेज अपलोड किये जाने के नाम पर कुछ ज्यादा ही पैसे ले रहें हैं। वाहन खरीद करने वाले काफी परेशान हैं ।
खबर में कहा गया है कि ऑनलाइन व्यवस्था शुरु होने से एआरटीओ में ऊपर की अवैध कमाई बंद हो गई है। बावजूद इसके, परिवहन कार्यालय में कार्यरत सभी कर्मचारी व अधिकारी पूर्व की भांति ही अपनी जेबें भरने में लगें हैं। खबर में कहा गया है कि गाड़ियों की फिटनेस में व्यापक रुप से अवैध धन कमाई की जाती है।
![]() |
| आर0आई0 बिपिन कुमार |
हालांकि, इस बाबत आर0आई0 बिपिन कुमार का कहना है कि फिटनेस के लिए एक मानक है। जिसके तहत वाहनों को चेक किया जाता है। तदुपरांत, प्रमाण पत्र दिया जाता है।
बिना सुविधा शुल्क के वाहनों के फिटनेस प्रमाण पत्र मिल पाना मुश्किल सा होता है। सूत्रों केे अनुसार, परिवहन विभाग में ऐसे मनबढ़ दबंग किस्म के बाहरी तत्व सक्रिय हैं, जो विभाग की मुहर लगाकर अधिकारियों के हस्ताक्षर करके आरसी, ट्रांसफर ऑफ वेहिकल, डीएल आदि बनाकर जरुरतमंदों से मोटी रकम वसूलते हैं। इसकी जानकारी विभाग के अधिकारियों को है, परंतु किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई करने में अधिकारी रुचि नहीं लेते हैं। रक्त बीज की तरह इस महकमे का भ्रष्टाचार दिन दुना रात चौगुना बढ़ता जा रहा है। इसको देखकर यह सोचा जा सकता है कि क्या दलालों की ही चंगुल में यह महकमा रहेगा, या फिर महकमे की कार्यप्रणाली में कुछ अंतर भी आयेगा। दलाली, भ्रष्टाचार और वसूली जैसे अवैध कार्यों पर नियंत्रण लगेगा ? क्या परिवहन महकमा दलालों के चंगुल से मुक्ति पाएगा या फिर जैसा चल रहा है वैसा ही चलेगा ?


