दस साल में पहली बार मैंने एक महीने तक बल्ला नहीं पकड़ा, मेरी आक्रामकता झूठी थी : विराट कोहली

दस साल में पहली बार मैंने एक महीने तक बल्ला नहीं पकड़ा, मेरी आक्रामकता झूठी थी : विराट कोहली


विराट कोहली ने बताया है कि पिछले 10 सालों में उन्होंने पहली बार एक महीने तक बल्ला नहीं पकड़ा। इंग्लैंड दौरे के बाद कोहली मानसिक तौर पर थक चुके थे और उन्होंने एक महीने का ब्रेक लिया। 

पूर्व भारतीय कप्तान विराट कोहली ने स्वीकार किया है कि एक महीने के ब्रेक से पहले वो मानसिक तौर पर पूरी तरह से थक चुके थे। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि इस ब्रेक के दौरान एक महीने तक उन्होंने अपने बल्ले को छुआ तक नहीं। पिछले 10 सालों में यह पहला मौका था, जब विराट ने एक महीने तक अपना बल्ला नहीं पकड़ा था। वेस्टइंडीज और जिम्बाब्वे के खिलाफ सीरीज के दौरान विराट को ब्रेक दिया गया था और अब कोहली एशिया कप में वापसी कर रहे हैं। 

विराट 2019 के बाद से कोई शतक नहीं लगा पाए हैं और उनकी खराब फॉर्म को लेकर लगातार बातें होती रही हैं। इस दौरान विराट ने कई बार अपने वर्कलोड की भी बात कही, लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। इसी वजह से कोहली ने तीन महीने के अंदर तीनों फॉर्मेट में भारत की कप्तानी छोड़ दी। अब ब्रेक के बाद विराट वापसी कर रहे हैं। 

विराट ने एक स्पोर्ट्स चैनल से बातचीत में कहा "10 साल में पहली बार मैंने एक महीने तक अपने बल्ले को छुआ तक नहीं। मुझे एहसास हुआ कि पिछले कुछ समय से मैं झूठी ऊर्जा (आक्रामकता) दिखाने की कोशिश कर रहा था। मैं खुद को समझा रहा था कि नहीं, तुम्हारे अंदर वह ऊर्जा है, लेकिन मेरा शरीर मुझे रुकने के लिए कह रहा था। मेरा दिमाग मुझसे एक ब्रेक लेने और एक कदम पीछे जाने के लिए कह रहा था।"

विराट ने आगे कहा "मुझे हमेशा उस इंसान के रूप में देखा गया है, जो मानसिक रूप से बहुत मजबूत होता है और मैं हूं। लेकिन, हर किसी की एक सीमा होती है और आपको वह सीमा पता होनी चाहिए। अन्यथा चीजें आपके लिए नुकसानदेह हो जाती हैं। इस दौरान मैंने बहुत सारी चीजें सीखीं, जिन्हें मैं स्वीकार नहीं करना चाह रहा था। जब वो आईं तो मैंने उन्हें स्वीकार किया।"

विराट कोहली ने इस दौरान स्वीकार किया कि वो मानसिक तौर पर थक गए थे। उन्होंने कहा कि उन्हें यह स्वीकार करने में शर्म नहीं है। यह बहुत ही साधारण चीज है, लेकिन हम इसके बारे में बात नहीं करते हैं। हम मानसिक रूप से कमजोर नहीं दिखना चाहते हैं। मेरा भरोसा करिए मजबूत होने का दिखावा करना कमजोरी को स्वीकार करने से ज्यादा खराब है। 

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