जीवन-मृत्यु

जीवन-मृत्यु


जीवन-मृत्यु

- राजीव डोगरा

जीवन मृत्यु का भेद

तुमको कुछ बतलाऊंगा।

हो सका तो तुमको

सच्चा जीवन निर्वाह सिखलाऊंगा।

क्षणभर का जीवन

क्षणभर की मृत्यु

फिर भी

तुमको कुछ बतलाऊंगा।

भेदभाव की नीव

जो रखी तुमनें

उसको भी एक दिन मिटाऊंगा।

धर्म के नाम पर

अधर्म तुम करते हो

धर्म की परिभाषा भी तुम

अपनी मर्जी से बदलते हो,

तुमको सच्चा धर्म

एक दिन जरूर सिखलाऊंगा।




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