किसी ने मेरा हिजाब छीनने की कोशिश की तो... :- मलाला यूसुफजई

किसी ने मेरा हिजाब छीनने की कोशिश की तो... :- मलाला यूसुफजई

ईरान में हिजाब को लेकर विवाद हर दिन गहराता जा रहा है। 22 साल की महसा अमिनी की हिजाब पहनने को लेकर हुई मौत के बाद इस शिया मुल्क में हो रहे विरोध-प्रदर्शन ने अब हिंसक रूप ले लिया है। अब तक 40 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है। उग्र होते प्रदर्शनों को देखते हुए सरकार ने इंटरनेट पर बैन लगा दिया है। इसके साथ ही प्रदर्शनों में भाग लेने पर भी रोक लग चुकी है। इसी बीच नोबेल पुरस्कार विजेता और बालिका शिक्षा अधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई ने ऐसा बयान दिया है जिसकी खूब चर्चा हो रही है।

मलाला यूसुफजई ने ईरान सरकार की आलोचना की है। मलाला ने महसा अमिनी की मौत और इसके पीछे के मकसद की निंदा करते हुए एक महिला को चुनने के अधिकार पर जोर देने की वकालत की है। मलाला ने कहा, "एक महिला जो भी पहनना पसंद करती है, उसे खुद के लिए फैसला लेने का अधिकार है। जैसा कि मैंने पहले कहा है, अगर कोई मुझे अपना सिर ढंकने के लिए मजबूर करता है, तो मैं विरोध करूंगी। अगर कोई मुझे अपना दुपट्टा हटाने के लिए मजबूर करता है, तो मैं विरोध करूंगी।"

अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी में महसा की कटआउट तस्वीर के साथ यह लिखते हुए मलाला ने अमिनी के लिए न्याय की गुहार लगाई है। यहां यह जानना महत्वपूर्ण है कि कनाडा के क्वेबेक प्रांत के एक मंत्री ने कहा था कि यदि मलाला को कनाडा में शिक्षा प्राप्त करना है तो उन्हें अपना स्कार्फ हटाना होगा। क्वेबेक के शिक्षा मंत्री जेन फ्रांकोसिस के इस बयान की काफी आलोचना भी हुई थी।

बता दें कि पाकिस्तान बीते तीन दशक में आए सबसे भीषण बाढ़ के प्रभाव का सामना कर रहा है। लगभग एक तिहाई पाकिस्तान बाढ़ में डूब गया था। जिसकी वजह से देश में कई प्रकार की महामारियों के फैलने का खतरा बना हुआ है। ऐसे वक्त में मलाला यूसुफजई की देश में खूब आलोचना हो रही है। लोग बाढ़ को लेकर हुई उनकी अनदेखी से निराश हैं।

पाकिस्तान में बाढ़ का कहर लगातार जारी है। बाढ़ के कारण मलेरिया, टाइफाइड और डेंगू बुखार जैसे संक्रामक रोग तेजी से पूरे क्षेत्रों में फैल रहे हैं और मृतकों की संख्या 324 तक पहुंच गई है। पाकिस्तान के कई प्रांतों में रुके हुए बाढ़ के पानी ने त्वचा और आंखों में संक्रमण, दस्त, मलेरिया, टाइफाइड और डेंगू बुखार के व्यापक मामलों को जन्म दिया है, जिससे पाकिस्तान में लोगों के स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो गया है। इस साल जून के बाद से, पाकिस्तान ने बेहद कठोर मानसून का सामना किया है जिसके परिणामस्वरूप गंभीर मानवीय और विकास संकट पैदा हो गया है। सरकारी अनुमानों के अनुसार, देश भर में लगभग 33 मिलियन लोग लगातार भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जो कि कई दशकों में सबसे खराब है।

Post a Comment

और नया पुराने