शराबबंदी पर भाजपा ने उठाए सवाल तो सीएम नीतीश हुए गुस्से से लाल

शराबबंदी पर भाजपा ने उठाए सवाल तो सीएम नीतीश हुए गुस्से से लाल

साल 2016 में बिहार में शराबबंदी लागू हुई थी लेकिन इसके बावजूद तब से लेकर अब तक राज्य में शराब वितरण के कई मामले सामने आ चुके हैं।





बिहार के सीएम नीतीश कुमार बुधवार को विधानसभा में उस वक्त अपना आपा खो बैठे, जिस वक्त विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने छपरा में जहरीली शराब से हुई मौतों पर सवाल खड़े किए और भाजपा वालों ने हंगामा करना शुरु कर दिया। जिस पर पहले तो सीएम नीतीश ने शांति से जवाब देने की कोशिश की लेकिन जब भाजपा वालों का हंगामा काफी बढ़ गया तो उन्होंने अपना धैर्य खो दिया और जमकर बीजेपी वालों पर भड़क गए।


उन्होंने कहा कि 'जब हमारे साथ थे तो शराबबंदी के पक्ष में थे,आज उसी पर सवाल खड़ा कर रहे हैं, अब तुम बोल रहे हो, हद ही मचाए हैं ये लोग, ये बर्ताव बिल्कुल भी सही नहीं है।' आपको बता दें बिहार में शराबबंदी के बावजूद जहरीली मौतौं का मामला सामने आया है इसलिए नीतीश सरकार सवालों के घेरे में हैं। आपको बता दें कि हाल ही में छपरा जिले के मशरक और इशुआपुर में जहरीली शराब पीने से अब तक 14 लोगों की मौत हो गई है तो वहीं कई अभी भी गंभीर रूप से बीमार हैं। जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।


जहरीली शराब पीने से इससे पहले अगस्त के महीने में भी सारण में करीब 9 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 17 लोगों की आंख की रोशनी चली गई थी। यही नहीं इसी साल के मार्च महीने में बिहार के तीन जिलों में नकली शराब की वजह से करीब 37 लोगों का जीवन खत्म हो गया था, जिस पर भी काफी हंगामा मचा था। ये तीन जिले थे, भागलपुर, बांका और मधेपुरा, जिसमें सबसे ज्यादा मौतें भागलुर में (22) हुई थीं।


मालूम हो कि साल 2016 में बिहार में शराबबंदी लागू हुई थी। इसके लिए नीतीश सरकार काफी सख्त है लेकिन इसके बावजूद तब से लेकर अब तक राज्य में शराब वितरण के कई मामले सामने आ चुके हैं। एक आंकड़े के मुताबिक बिहार में शराब बांटने के करीब 5,05,951 केस दर्ज हैं। बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने इसके लिए सरकार और प्रशासन पर ही आरोप लगाया है। उनका कहना है कि 'बिहार में शराब का अवैध कारोबार पुलिस के दिशा-निर्देश में ही फल फूल रहा है, ये सरकार और प्रशासन की मिलीभगत है।'


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