पीएम नरेंद्र मोदी एक बार फिर अपने शिलांग दौरे के दौरान पहने पारंपरिक खासी पोशाक को लेकर चर्चाओं में हैं। टीएमसी नेता कीर्ति आजाद ने इन्हें ''फैशन का पुजारी'' कहा है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी नीतियों और काम करने के तरीकों के अलावा एक और चीज को लेकर हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं, वो है उनका पहनावा। जी हां, जब से पीएम मोदी देश के प्रधानमंत्री बने हैं, भले ही आपको उनकी नीतियां अच्छी ना लगी हों लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रेसिंग सेंस और उनकी पोशाक ने आपका ध्यान जरूर खींचा होगा। उनके लिनेन जैकेट के साथ सॉफ्ट कलर के खादी कुर्ते, ब्लैक सूट, काला चश्मा या फिर पारंपरिक पोशाक या फिर इिजाइर साफा या पगड़ा को नजरअंदाज करना मुश्किल है। यही वजह है कि पीएम मोदी के कपड़ों की चर्चा खबरों में भी होती है।
एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी अपने शिलांग दौरे के दौरान पहने पारंपरिक खासी पोशाक को लेकर चर्चाओं में हैं। टीएमसी नेता कीर्ति आजाद ने इन्हें ''फैशन का पुजारी'' कहा है। पीएम मोदी अपने पहनावे और उसकी कीमत को लेकर हमेशा विपक्षी पार्टियों के निशाने पर रहते हैं। तो आइए जानें आखिर पीएम मोदी के कपड़ों का खर्च कौन उठाता है? क्या पीएम मोदी के कपड़ों का खर्च प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा उठाया जाता है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहनावे को लेकर विवाद समय-समय पर उठता रहा है। ऐसे में कई बार ये भी सवाल उठाया गया है कि पीएम मोदी अपने कपड़ों पर बेफिजूल प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का पैसा खर्च करते हैं। लेकिन आपको बता दें कि ये सच नहीं है। 2018 में सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जरिए सरकार ने जवाब दिया था कि पीएम नरेंद्र मोदी खुद अपने कपड़ों पर पैसा खर्च करते हैं। RTI एक्टिविस्ट रोहित सभरवाल ने पीएम मोदी के पहनावे पर सरकार के खर्च के बारे में जानकारी मांगी थी।
टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक, आरटीआई के जवाब में पीएमओ ने साल 2018 में जवाब देते हुए कहा था कि सवाल व्यक्तिगत प्रकृति का है और यह जानकारी पीएमओ के आधिकारिक रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है। पीएमओ कार्यालय ने यह भी बताया था कि पीएम (नरेंद्र मोदी) की व्यक्तिगत पोशाक पर खर्च सरकारी खाते से नहीं किया जाता है।
जब सभरवाल को आरटीआई का जवाब मिला तो उन्होंने कहा कि कई लोगों का मानना है कि पीएम मोदी के कपड़ों पर केंद्र सरकार भारी खर्च करती है, लेकिन अब जब आरटीआई का जवाब आया है, तो यह साफ हो गया है कि सरकार पीएम के कपड़ों पर कुछ भी खर्च नहीं कर रही है।
RTI एक्टिविस्ट रोहित सभरवाल ने कहा था कि उनका आरटीआई दाखिल करने का मकसद राजनीतिक दलों, खासकर आम आदमी पार्टी (आप) सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल द्वारा पीएम मोदी पर लगाए गए आरोपों को साफ करना था। लोगों को ये बताना था कि आखिर क्या सच है और क्या झूठ।
बता दें कि दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने कई मौकों पर पीएम मोदी के कपड़ों पर सवाल उठाए हैं। एक बार केजरीवाल ने कहा था कि मोदी के कपड़ों की कीमत दिल्ली के विज्ञापन बजट से भी ज्यादा है।
.jpg)