अगर आप भी PNB Bank, ICICI Bank या Bank of India के ग्राहक है तो आपके लिए बड़ी खबर है. पंजाब नेशनल बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स लेंडिंग बेस्ड रेट (MCLR) में बढ़ोतरी की है. यह नई दरें 1 दिसंबर 2022 से लागू हो चुकी है. बैंकों की इस कदम से आप इन तीनों बैंकों का लोन महंगा हो जाएगा और EMI में भी बढ़ोतरी होगी. MCLR में बढ़ोतरी का सीधा असर होम लोन कार लोन पर्सनल लोन की EMI पड़ेगा.
आखिरी बार भारतीय रिजर्व बैंक ने सितंबर के महीने में रेपो रेट में इजाफा किया था. अगले सप्ताह 5 दिसंबर से एक बार फिर से रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक होने वाली है. मीटिंग शुरू होने से पहले ही बैंक अपना कर्ज महंगा करने लगे हैं.
सभी अवधि के लिए ICICI Bank ने MCLR में 10 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है. पंजाब नेशनल बैंक ने पांच बेसिस प्वाइंट बढ़ाए हैं. बैंक ऑफ इंडिया ने MCLR 25 बेसिस अंक तक बढ़ा दिए हैं.
ICICI Bank की वेबसाइट के मुताबिक, ओवरनाइट, एक महीने के कर्ज के लिए MCLR दर को 8.05 फीसदी से बढ़ाकर 8.15 फीसदी कर दिया गया है. तीन महीने, छह महीने के MCLR को क्रमशः 8.20 फीसदी और 8.35 फीसदी कर दिया गया है. एक साल के MCLR को बढ़ाकर 8.40 फीसदी कर दिया गया है. इससे पहले ये दर 8.30 फीसदी थी.
पब्लिक सेक्टर के बैंक PNB ने एक साल के कर्ज के लिए MCLR को 8.05% से 8.10% और छह महीने के MCLR को 7.75% से 7.80% कर दिया है. ओवरनाइट MCLR 7.40 फीसदी से बढ़कर 7.45 फीसदी हो गया है. महीने भर के MCLR को 7.45 फीसदी से बढ़ाकर 7.50 फीसदी कर दिया गया है. तीन महीने के MCLR को 7.55 फीसदी से बढ़ाकर 7.60 फीसदी कर दिया गया है.
बैंक ऑफ इंडिया ने सभी अवधि के लिए MCLR में 25 बेसिसि प्वाइंट का इजाफा किया है. बैंक ऑफ इंडिया का एक साल का MCLR अब 8.15 फीसदी हो गया है, जो पहले 7.95 फीसदी था. छह महीने का MCLR 7.65% से बढ़कर 7.90% हो गया है. ओवरनाइट 7.05 फीसदी से बढ़कर 7.30 फीसदी हो गया है. तीन महीने का MCLR 7.45 फीसदी से 7.70 फीसदी हो गया है.
किसी भी बैंक के MCLR में बढ़ोतरी से कार, पर्सनल और होम लोन महंगा हो जाता है. MCLR बढ़ने से आपके लोन की ईएमआई बढ़ जाती है. नए लोन लेने वालों के लिए MCLR का बढ़ना अच्छा नहीं है. इससे उन्हें ज्यादा महंगा कर्ज मिलेगा. मौजूदा ग्राहकों के लिए लोन की ईएमआई तब बढ़ेगी जब लोन रीसेट की डेट आएगी. MCLR वो न्यूनतम दर है जिस पर बैंक ग्राहकों को कर्ज ऑफर करते हैं.
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