प्रधानमंत्री पद की कुर्सी की रेस से नितिन गडकरी कैसे होते गए दूर?

प्रधानमंत्री पद की कुर्सी की रेस से नितिन गडकरी कैसे होते गए दूर?

हालिया सर्वे में नितिन गडकरी पीएम मोदी के उत्तराधिकारी की रेस में भी पिछड़ गए हैं. इस सर्वे में अमित शाह पहले नंबर पर और योगी आदित्यनाथ दूसरे नंबर पर हैं. सर्वे में नितिन गडकरी का स्थान तीसरा है.








कभी देश के प्रधानमंत्री पद के बड़े दावेदार रहे बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी अब इस कुर्सी से काफी दूर चले गए हैं. हाल ही में इंडिया टुडे-सी वोटर ने प्रधानमंत्री मोदी और उनके रिटायर होने पर बीजेपी में उनके उत्तराधिकारी को लेकर एक सर्वे किया है. सर्वे में गृह मंत्री अमित शाह सबसे आगे हैं, जबकि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दूसरे नंबर पर हैं. 


केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी बीजेपी में पीएम मोदी के अगले उत्तराधिकारियों की सूची में तीसरे नंबर हैं. सर्वे में शामिल 16 प्रतिशत लोगों ने बताया कि पीएम मोदी के रिटायर होने के बाद नितिन गडकरी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. बीजेपी के एक और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह इस सर्वे में चौथे नंबर पर हैं. 


कभी देश के प्रधानमंत्री पद के बड़े दावेदार रहे बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी अब इस कुर्सी से काफी दूर चले गए हैं. हाल ही में इंडिया टुडे-सी वोटर ने प्रधानमंत्री मोदी और उनके रिटायर होने पर बीजेपी में उनके उत्तराधिकारी को लेकर एक सर्वे किया है. सर्वे में गृह मंत्री अमित शाह सबसे आगे हैं, जबकि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दूसरे नंबर पर हैं. 


केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी बीजेपी में पीएम मोदी के अगले उत्तराधिकारियों की सूची में तीसरे नंबर हैं. सर्वे में शामिल 16 प्रतिशत लोगों ने बताया कि पीएम मोदी के रिटायर होने के बाद नितिन गडकरी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. बीजेपी के एक और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह इस सर्वे में चौथे नंबर पर हैं. 


2009 में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने गडकरी 2011 आते-आते मनमोहन सरकार के खिलाफ सबसे बड़ा चेहरा बन गए थे. साल 2012 में उनके लिए पार्टी के संविधान तक में संशोधन किया गया. नए संशोधन के तहत कोई भी व्यक्ति लगातार दूसरी बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यभार संभाल सकता है. 


2013 में अगर नितिन गडकरी दोबारा राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते तो उनका कार्यकाल 2015 तक होता और आज राजनीतिक हालात कुछ और होते लेकिन 2013 में एक तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम में गडकरी को इस्तीफा देना पड़ा.


उनकी जगह राजनाथ सिंह को बीजेपी की कमान सौंपी गई. इसके बाद बीजेपी की राष्ट्रीय राजनीति में मोदी युग का उदय हुआ और गडकरी धीरे-धीरे नेपथ्य में चले गए. 


पीएम कुर्सी से दूर जाने की वजह जानने से पहले जानिए सियासत में गडकरी कितने मजबूत?


  • संघ के निष्ठावान स्वंयसेवक नितिन गडकरी ने राजनीतिक करियर की शुरुआत विधानपरिषद के जरिए की. वे 1989 में महाराष्ट्र विधानपरिषद के सदस्य बने. 
  • शिवसेना-बीजेपी की मनोहर-जोशी सरकार में नितिन गडकरी को लोक निर्माण विभाग की जिम्मेदारी मिली. गडकरी इस दौरान महाराष्ट्र में 'फ्लाईओवर मंत्री' के नाम से मशहूर हो गए. 
  • 1999 से 2005 तक गडकरी महाराष्ट्र विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष पद पर रहे. वे महाराष्ट्र बीजेपी इकाई के भी अध्यक्ष रह चुके हैं. 
  • 2009 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की करारी हार के बाद नितिन गडकरी को सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. 
  • 2011 में उमा भारती की वापसी को लेकर जब विवाद हुआ तो संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नितिन गडकरी के पक्ष में बयान दिया. 

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