- ट्रैफिक पुलिस के अधिकांश कर्मी स्वंय की जेब भरने में लगे
- जातिवाद की वजह से ट्रैफिक पुलिस में आपसी खींचतान की चर्चा
- स्वजातियों को यातायात प्रभारी द्वारा अधिक तरजीह दिए जाने का आरोप
- दशकों से जमे यातायात पुलिसकर्मियों के स्थानांतरण की उठी मांग
- ड्यूटी पर लगे पीआरडी व होमगार्ड के जवानों को यातायात पुलिसजन रखते हैं उपेक्षित
- वाहन चालक और सामान्यजनों को यातायात पुलिस द्वारा अनावश्यक किया जाता है परेशान
- सत्यम सिंह(7081932004/9454908400)
अंबेडकरनगर। जिले की यातायात व्यवस्था से संबंधित खबरें प्रायः सोशल मीडिया/ मीडिया में प्रसारित व प्रकाशित होती रहती हैं। जिनको पढ़ने के बाद हर कोई खबर व उससे संबंधित सरोकारियों की चर्चा करने लगता है। सरकार द्वारा यातायात यानि ट्रैफिक नियंत्रण करने हेतु यातायात पुलिस की व्यवस्था की गई है। इस व्यवस्था से ट्रैफिक नियंत्रण होता ही है, साथ ही, चालान के रुप में मिली धनराशि विभागीय राजस्व के कोष को बढ़ाती है।
हालांकि, यह नारा कि ‘पुलिस जनता की मित्र होती है’ कभी-कभी अप्रासंगिक दिखता है। यातायात पुलिस की वर्दी पहने सरकारी मुलाजिम यातायात नियंत्रण में कम, स्वयं की धन उगाही में अधिक लगे देखे जाते हैं। वाहन चेकिंग के नाम पर ये पुलिसजन वाहन चालकों व स्वामियों से बदसलूकी भी करते हैं और बेवजह उनकों तरह-तरह के नियम-कानून बताकर उनसे धनउगाही करते हैं। इस तरह की खबरे प्रायः मिलती रहती हैं। पूरे प्रदेश में लगभग हर स्थान पर ऐसी ही स्थिति देखी ही बताई जाती है। सोशल मीडिया में यातायात पुलिसजनों की हरकतों व वाहन चालकों/स्वामियों के साथ किए गए अप्रत्याशित बर्ताव सुर्खियों में रहते हैं।
उत्तर प्रदेश के जनपद अंबेडकरनगर के मुख्यालयी शहर अकबरपुर की यातायात पुलिस इस समय अपने कारनामों को लेकर चर्चा का विषय बनी हुई है। सोशल मीडिया की खबरों में लिखा गया है कि अकबरपुर यातायात पुलिस का एक दरोगा लोगों से बदसलूकी करता है। वाहन चालकों के यातायात/परिवहन संबंधित कभी कागजात मौजूद रहने पर भी वह उन लोगों का चालान करने की बात करता है। बता दें कि इसके लिए वह वाहनों के नंबर प्लेट की फोटी खींचकर ऑनलाइन चालान की बंदर घुड़की देता है। इस समय सोशल मीडिया में उक्त दरोगा के बारे में काफी कुछ नकारात्मक लिखा हुआ पढ़ने को मिलता है।
सोशल मीडिया की खबरों के अनुसार, दरोगा द्वारा अवैध वसूली किए जाने की छूट वर्तमान में यातायात प्रभारी द्वारा दी गई है। यह भी खबर है कि इस महकमे में दर्जनों ट्रैफिक पुलिस कर्मी कई सालों से जमे हुए हैं। ये जमे-जमाए आरक्षीगण शुरु से लेकर वर्तमान तक के टीएसआई के मददगार और धनकमाऊ सहकर्मी बने हुए हैं। अकबरपुर/शहजादपुर की सड़क पर चेकिंग के नाम पर वाहन चालकों/स्वामियों को परेशान किया जाता है।
सूत्रों के अनुसार - जिले के पुलिस अधिकारीगण द्वारा ट्रैफिक पुलिस के प्रभारी व आरक्षियों को निर्देशित किया गया है कि चेकिंग के नाम पर लोगों को अकारण परेशान न किया जाए और न ही उनके साथ बदसूलकी की जाए। लेकिन उच्चाधिकारियों का यह निर्देश अकबरपुर-शहजादपुर के संदर्भ में हवा-हवाई साबित हो रहा है। यातायात व्यवस्था प्रायः चरमरा जाती है। जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में, बाहरी व स्थानीय लोगों को काफी दिक्कत उठानी पड़ती है।
ट्रैफिक पुलिस यातायात व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त करने में विफल देखी जा रही है। इसके पीछे जो कारण बताया गया है, वह यह कि यातायात पुलिस के लोग स्वंय की धन उगाही में व्यस्त रहते हैं। निर्जी स्वार्थ की पूर्ति में व्यस्त ऐसे जिम्मेदारों की फौज शहर की सड़कों पर वाहन चेकिंग चालान करने की प्रक्रिया में काफी तेजी दिखाते है। ऐसा करके यह लोग चेकिंग स्थल पर बद्धअमनी का माहौल पैदा करते रहते हैं। इस चेकिंग में यातायात उपनिरीक्षक और ट्रैफिक के अन्य कर्मी व पुलिस के जवान जिला मुख्यालय(अकबरपुर-शहजादपुर) की सड़कों पर तांडव करके स्वंय की स्वार्थपूर्ति के लिए बीच सड़क पर अराजकता फैलाते हैं।
नियमतः वाहन चेकिंग में ऐसे वाहन के खिलाफ चालान जैसी कार्रवाई तब की जाती है, जब उनके द्वारा कोई भी परिवहन डाक्यूमेंट नहीं प्रस्तुत किया जाता। कई वाहन चालकों की शिकायत है कि ट्रैफिक पुलिस अपना निजी स्वार्थ सिद्ध करने में संलिप्त रहती है। यही कारण है कि नियमानुसार वाहन चलाने पर भी चालान और जुर्माना किया जाता है।
इस समय एक बहुचर्चित यातायात दरोगा व कई दीवान स्तर के यातायात पुलिसकर्मी चर्चा का विषय बने हुए हैं। इन पर आरोप है कि ये लोग सुबह से लेकर देर शाम तक अपने स्वार्थसिद्धि में लगे रहते हैं। वाहनों की अपने मोबाइल से फोटो खींचकर चालान करने के नाम पर धन वसूली करते हैं। न दे पाने की स्थिति में लोगों से इनके द्वारा बदसलूकी की जाती है। सोशल मीडिया से जुड़े कई मीडियापर्सन्स ने बताया कि इस समय जिले की यातायात पुलिस में र्प्याप्त कर्मी हैं। जिनमें दरोगा, दीवान और सिपाही स्तर पर लगभग तीन दर्जन पुलिस जन शामिल हैं। इस समय यातायात पुलिस महकमे में अवैध वसूली किए जाने की होड़ मची है।
टीएसआई और दरोगा व अन्य विजातीय पुलिस जनों में रस्साकशी चल रही है। एक गुट जिसमें जाति विशेष के बहुलता है, वर्तमान टीएसआई का पक्षधर है। वहीं, दूसरी तरफ विजातीय कर्मी एक अन्य दरोगा को यातायात प्रभारी के रुप में कमान दिए जाने की बात करते हैं।
जिला मुख्यालय की ट्रैफिक पुलिस को लेकर यह भी कहा जाता है कि सालों से निर्विघ्न मलाई खाने वालों के लिए नवागत यातायात दरोगा सिरदर्द बन गए हैं। कहने वालों का कहना है कि ट्रैफिक पुलिस वर्दी के प्रभाव और आस्तित्व को तेज तर्रार, कड़क स्वभाव वाले एसआई सम्मान जनक स्थिति में लाने का प्रयास कर रहे हैं। इनका फोकस विभागीय राजस्व वृद्धि पर है। यातायात पुलिस में सालों से जमे जमाए अन्य कर्मियों को नए दरोगा नहीं सुहा रहे हैं।
दरोगा की सक्रियता का यह असर है कि अब पुराने यातायात कर्मियों की लूट खसोट का एकाधिकार प्रभावित हो रहा है। ऐसे में नवागत दरोगा विरोधी ट्रैफिक पुलिस का खेमा मीडिया, सोशल मीडिया के सहारे विरोधी खबरें प्रकाशित व प्रसारित करवाकर स्वार्थ सिद्धि में जुटा बताया गया है।
जिले की यातायात पुलिस को अधिसंख्य लोगों ने एक पार्टी विशेष का नाम दे रखा है। क्योंकि इसमें ट्रैफिक इंचार्ज से लेकर कई दीवान और कई अन्य आरक्षीगण एक ही जाति के बताए गए हैं। ट्रैफिक पुलिस में जाति विशेष की बहुलता से आपसी द्वंद्व ठना हुआ है। स्वजातीय लोग टीएसआई की जयकार करते हैं और उनके कृत्यों की सराहना करते हैं। वहीं, दूसरी तरफ इस महकमे के अन्य विजातीय पुलिसकर्मी बहुसंख्यक जाति के यातायात पुलिसकर्मियों के विरोधी बताए जाते हैं।
यातायात के दीवान जी बड़े ‘भोले’ हैं...
खबर है कि अकबरपुर-शहजादपुर के लोगों ने ट्रैफिक पुलिस के एक एसआई का नाम....मोटरसाईकिल वाला दरोगा रखा है। विभाग व अन्य नगरवासियों ने बताया कि अकबरपुर-शहजादपुर दोनों उपनगरों की ट्रैफिक व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त करने के लिए कई सालों से एक दीवान जी विभाग में जमे हुए हैं। बात-चीत से बड़े भोले लगते हैं। इनके बारे में विभाग के एक कर्मी ने कहा कि दीवान जी की ‘भोला’ स्टाईल काफी कारगर है। वह अपनी स्टाईल की वजह से दसियों साल से यहां विभाग में जमे हुए हैं। खूब पैसा कमा रहे हैं। इनको यातायात प्रभारी का पूर्ण वरदहस्त प्राप्त है। मीडिया प्रबंधन में स्किलफुल इस दीवान के भोलेपन की सबसे अधिक चर्चा है। इन्हें विभाग का सबसे सक्रिय, हुनरमंद, धनकमाऊ और अमीर दीवान कहा जाता है।
अकबरपुर-शहजादपुर दोनों उपनगरों में यातायात व्यवस्था में लगे पुराने कर्मियों के स्थानांतरण की मांग भी देखी जाती है। जातिवाद की वजह से पुलिसकर्मियों में आपसी खींचतान और अवैध धन कमाने की होड़ से यातायात व्यवस्था प्रायः चरमरा जाया करती है। सड़कों की पटरियों पर बेतरतीब वाहन खड़े रहते हैं। जिन्हें देखते हुए भी यातायात पुलिस के कथित कर्मठ कोई भी उचित कदम नहीं उठाते हैं।
यातायात विभाग में तैनात अधिसंख्य पुलिसजनों की दबी जुबान से यह भी सुना जाता है कि टीएसआई जातीय भेदभाव रखते हैं। स्वजातियों को अधिक तरजीह और विजातियों को कमतर आंकते हैं। मीडिया के अनुसार, यह लोग टीएसआई बदले जाने की प्रबल इच्छा रखते हैं परन्तु, खुले रुप से विरोध भी नहीं कर सकते हैं। इन्हें विभागीय उच्चाधिकारियों का भय बना रहता है। कहीं, उनके टीएसआई व जातिवाद विरोधी स्वर का परिणाम उल्टा न पड़ जाए और वे ही दंडित कर दिए जाएं। इसी पशोपेश में वर्तमान टीएसआई खेमा विरोधी यातायात पुलिस के लोग पड़ हुए हैं।
नाम प्रकाशित व प्रसारित न होने की शर्त पर कई यातायात आरक्षियों ने बताया कि दसियों साल से अधिक समय से इस विभाग में तैनात अनेकों आरक्षीगण विभागीय अधिकारियों और यातायात प्रभारी के मुंहलगे बन गए बताए जाते हैं। मीडिया में प्रकाशित/प्रसारित होने वाली खबरों के अनुसार, यातायात पुलिस की मनमानी और लूट-खसोट अपने चरम पर है।
अकबरपुर-शहजादपुर उपनगरों की सड़कों पर यातायात व्यवस्था सुचारु करने के लिए लगे यातायात पुलिसजन वाहन चालकों, स्वामियों और सामान्यजनों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। इन सभी को अन्य तहसीलों के कस्बों, बाजारों में भेजा जाना जरुरी हो गया है। इन लोगों का कहना है कि सबसे पहले यह आवश्यक है कि यातायात प्रभारी के स्थान पर किसी अन्य सीनियर यातायात उपनिरीक्षक को यातायात का प्रभारी बनाया जाए। एक जाति विशेष के यातायात पुलिस आरक्षियों को इस मुख्यालय से दूर अनयत्र ड्यूटी पर लगाया जाए। उच्चाधिकारियों को चाहिए कि विभागीय नियमानुसार जिन कर्मियों की सेवा अवधि इस जिले में पार या उससे अधिक हो गई हो, उनका यहां से तबादला करवाया जाए।
इस खबर के बाबत रेनबोन्यूज ने टीएसआई को उनके मोबाइल नंबर पर व्हाट्सएप मैसेज भेजकर उनकी टिप्पणी चाही थी, लेकिन इस संबंध में इस पुलिस अधिकारी ने कुछ भी बताने में रुचि नहीं दिखाई।
स्पष्टीकरण
यह खबर/आलेख (सोशल मीडिया में प्रसारित हो रही खबरों से...) न काहू से दोस्ती न काहू से बैर के आधार पर लिखा गया है। खबर की सत्यता की पुष्टि विभागीय उच्चाधिकारियों व तटस्थ जांच एजेंसियों से कराई जा सकती है। - संपादक
