'दान में दी हुई या सरकारी जमीन पर मस्जिद बनाने का फैसला गलत', AIMIM ने दिया ये सुझाव

'दान में दी हुई या सरकारी जमीन पर मस्जिद बनाने का फैसला गलत', AIMIM ने दिया ये सुझाव

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादिल मुस्लिमीन ने धन्नीपुर में सरकारी जमीन पर मस्जिद निर्माण के फैसले का विरोध किया है. पार्टी ने इस्लाम धर्म का हवाला दिया है.




अयोध्या के धन्नीपुर में प्रस्तावित सरकारी जमीन पर मस्जिद निर्माण का असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने विरोध किया है. एमआईएमआईएम के प्रदेश प्रवक्ता मोहम्मद फरहान का कहना है कि इस्लाम धर्म सरकारी या दान की जमीन पर मस्जिद निर्माण की इजाजत नहीं देता है. उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म की मान्यताओं के मुताबिक मस्जिद बनाना सही नहीं होगा. उन्होंने धन्नीपुर में प्रस्तावित सरकारी जमीन पर दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल कॉलेज और यूनिवर्सिटी का निर्माण करने की मांग की.


एमआईएमआईएम प्रवक्ता का कहना है कि प्रस्तावित जगह पर मूक बधिर और नेत्रहीन बच्चों की पढ़ाई के इंतजाम होने चाहिए. दिव्यांग बच्चों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए स्कूल कॉलेज या यूनिवर्सिटी का निर्माण कराया जा सकता है.


मोहम्मद फरहान ने मस्जिद की बुनियाद मक्का के इमाम से करवाए जाने पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि इमाम ए मक्का का भारत की सरजमीं पर स्वागत है. लेकिन प्रस्तावित सरकारी जमीन पर मस्जिद का निर्माण कतई नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जमीन को तालीम का केंद्र बनाया जाना चाहिए.


मोहम्मद फरहान ने कहा कि प्रस्तावित सरकारी जमीन पर मस्जिद बनाने का फैसला गलत है. भारत के ज्यादातर मुसलमानों की भी राय है कि दान में मिली हुई सरकारी जमीन पर मस्जिद नहीं बनाई जाए. मस्जिद बनने से अच्छा संदेश नहीं जाएगा. बता दें कि धन्नीपुर मस्जिद स्थल सदियों पुरानी बाबरी मस्जिद के मूल स्थान से लगभग 22 किमी दूर है.


नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद का निपटारा किया था. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में मुस्लिम पक्ष को अलग स्थान पर जगह देने की बात कही थी. मुस्लिम पक्ष को नई मस्जिद के लिए अयोध्या में 5 एकड़ जमीन दूसरी जगह पर आवंटित कर दी गई.

Post a Comment

और नया पुराने