Player Unknown’s Battle Grounds यानि पबजी
पबजी नामक यह खतरनाक खेल अब भारत के गाँव देहात से लेकर शहरी इलाकों में तेजी से फैलने लगा है। इस खेल को निकम्मे, निठल्ले और अपढ़, अल्प शिक्षित युवकों द्वारा खूब पसन्द किया जा रहा है। पबजी की लत से युवा वर्ग का कैरियर लगभग समाप्त सा होने लगा है। इनमें अशिक्षा और बेरोजगारी बढ़ने लगी है। सर्वेक्षण के दौरान यह पाया गया कि जिन व्यावसायिक केन्द्रों पर अल्प शिक्षित युवा कार्यरत हैं उनके हाथों में स्मार्टफोन और कानों में ईयरफोन लगा रहता है। पूछने पर पता चला कि यह लोग पबजी नामक खेल का आनन्द ले रहे हैं।
इस समय स्मार्ट फोन पर खेला जाने वाला पबजी नामक खेल आपराधिक घटनाओं को जन्म देने लगा है। पबजी खेलने वाले लगभग हर उम्र के लोग इसमें इतने तल्लीन रहते हैं कि उन्हें दुनियादारी से कोई मतलब नहीं रहता। यदि किसी ने मना किया तो ये मार, झगड़ा यहाँ तक हत्या तक कर सकते हैं। बीते दिनों पबजी खेलने से रोकने पर बेटे ने अपने पिता का गला काटकर हत्या करने के साथ ही उसके लाश के कई टुकड़े कर दिए थे। यह मामला कर्नाटक के बेलागवी जिले का है। यहाँ 25 साल के एक युवक ने अपने पिता की इसलिए हत्या कर दी क्योंकि वो उसे पबजी खेलने से मना करता था। पबजी नामक यह खेल कितना खतरनाक रूप लेता जा रहा है इसका अन्दाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पबजी खेल की लत से ग्रस्त युवक ने अपने पिता की हत्या के बाद उसके शरीर के कई टुकड़े कर डाले।
पबजी नामक यह खतरनाक खेल अब भारत के गाँव देहात से लेकर शहरी इलाकों में तेजी से फैलने लगा है। इस खेल को निकम्मे, निठल्ले और अपढ़, अल्प शिक्षित युवकों द्वारा खूब पसन्द किया जा रहा है। पबजी की लत से युवा वर्ग का कैरियर लगभग समाप्त सा होने लगा है। इनमें अशिक्षा और बेरोजगारी बढ़ने लगी है। सर्वेक्षण के दौरान यह पाया गया कि जिन व्यावसायिक केन्द्रों पर अल्प शिक्षित युवा कार्यरत हैं उनके हाथों में स्मार्टफोन और कानों में ईयरफोन लगा रहता है। पूछने पर पता चला कि यह लोग पबजी नामक खेल का आनन्द ले रहे हैं। ग्राहक आता है, उसे क्या चाहिए, क्या नहीं चाहिए, पुरानी व्यावसायिक परम्पराओं को नकारते हुए ये युवा ग्राहक जिसे भगवान कहा जाता है को तवज्जो ही नहीं देते हैं।
जिन माँ-बाप ने अपने युवा वर्ग की सन्तान का कहना मान कर व्यावसायिक प्रतिष्ठान खुलवा दिया है आज वे ही लोग इस बात का रोना रो रहे हैं कि उनका बेटा, उनकी सन्तान पबजी जैसे खेल की दीवानी हो गई है। एन-केन-प्रकारेण बैंक और हित-मित्रों से कर्ज-उधारी लेकर दुकान खुलवाया जिसे पबजी की लत के चलते इन लोगो ंने चौपट कर दिया, पूरी जमापूँजी डूब गई। अब उनके सामने दो वक्त की रोटी की भी व्यवस्था में दिक्कत आ रही है। कई माँ-बाप, अभिभावकों ने रोते हुए कहा कि वह लोग अपनी जान बचाने के लिए पबजी खेलने वाली अपनी ही सन्तानों से बात करने में डरते हैं। उनका विरोध नहीं करते हैं, क्योंकि यदि ऐसा करेंगे तो ये लोग अज्ञानता के चलते मार, पीट व हत्याएँ न कर बैठें।