इस किस्म में अन्य चावल की किस्मों के अपेक्षा कम पानी लगता है. आम तौर पर एक किलो चावल के लिए करीब 3 से 4 हजार लीटर पानी का इस्तेमाल होता है, तो इस किस्म में 1 किलो चावल के उत्पादन के लिए करीब 1500 से 2500 लीटर पानी लगता है. इसके अलावा प्रति हेक्टेयर उत्पादन भी अधिक है. अगर 1 हेक्टेयर में बासमती की उपज 21 क्विंटल के आसपास होती है, तो इसकी उपज 35 से 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
बासमती चावल की तरह ही काला नमक चावल की रोपाई जुलाई के प्रथम सप्ताह से अगस्त के दूसरे सप्ताह तक होती है और यह नवंबर तक पूरी तरह से तैयार हो जाती है. इस किस्म की खेती पंजाब के लो लैंड एरिया में हो सकती है. काला नमक चावल को कई तरह की बीमारियों से बचाव के लिए रामबाण माना जाता है. इसमें पोटैशियम की मात्रा काफी अधिक होती है.
इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन बी एवं आयरन व एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा भी अधिक होती है. जो अन्य किसी चावल में नहीं पाई जाती है. इसके सेवन से कई तरह की बीमारियों के अलावा कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी एवं डायबिटीज व अल्जाइमर जैसी बीमारियों से भी निजात मिल सकता है. इसमें मौजूद फाइबर शरीर को मोटापा व कमजोरी से बचाता है.