चंद ख्याल जो कुछ यूं
पानी की बूंदों की तरह
महसूस होते हैं
जो अक्सर नमी का
एहसास तो कराते हैं
मगर बारिश की तरह
भिगोते नहीं है...
कुछ ख्वाहिशें
दर ब दर होतीं हैं
वजूद तो रखतीं हैं
मगर जमीं नहीं होती है
कलम की सीरत कुछ आवारगी सी
तो कुछ हरफनमौला सी है
जो अपनी ही जिद और
अपनी उम्मीद पर बसर करता है..
प्रियंका वरमा माहेश्वरी, गुजरात