नई दिल्ली । कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद से ही से ही देश की सियासत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस फैसले की चर्चा हो रही है। जिसमें उन्होंने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी। भले ही पीएम मोदी के इस फैसले के पीछे अलग.अलग कारण गिनाए जा रहे हों लेकिन असल मायने में किसानों के विरोध के आगे सरकार को झुकना पड़ा है, ये कहना गलत नहीं होगा। किसानों का आंदोलन पिछले एक साल से चल रहा था। किसान इस बात पर अड़ गए थे कि जब तक कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तब तक वो धरनास्थल से नहीं जाएंगे। आपको बता दें कि ये कोई पहली बार नहीं है जब मोदी सरकार को विरोध के आगे इस तरह अपना फैसला वापस लेना पड़ा हो।
किसानों के विरोध के चलते भूमि अधिग्रहण बिल लेना पड़ा था वापस इससे पहले भी मोदी सरकार विरोध की वजह से एक बिल को वापिस ले चुकी है। ये बात मोदी सरकार के पहले कार्यकाल की हैए जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ समय बाद ही भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को वापस लेना पड़ा था। उस वक्त भी किसानों ने इस अध्यादेश का विरोध किया था। किसानों के साथ साथ विपक्षी दलों ने भी इस अध्यादेश का जबरदस्त विरोध किया था। इसी का नतीजा था कि सरकार को अध्यादेश वापस लेना पड़ा था।
