मिठाई की दुकानों पर नहीं देखने को मिलती है निर्माण और उपयोग की तिथि

मिठाई की दुकानों पर नहीं देखने को मिलती है निर्माण और उपयोग की तिथि


अम्बेडकरनगर।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) मानव स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सभी प्रकार की मिठाइयों पर उनके निर्माण की तारीख और उपयोग की अवधि लिखना अनिवार्य कर दिया है। लेकिन यहां इसका पालन कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है। निर्माण की तारीख और उपयोग की अवधि न केवल पैक होने वाले डिब्बों पर लिखी जानी है बल्कि काउंटर पर ट्रे में रखी मिठाइयों पर भी इसका टैग लगाना है। लेकिन यहां यह जानकारी लिखना तो दूर मिठाइयों को खुले में रखकर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।

मुख्यालयी शहर अकबरपुर व शहजादपुर में ही दो दर्जन के करीब बड़ी और भव्य मिठाई की दुकानें हैं, मध्यम और छोटे स्तर की दुकानों की संख्या २०० से ज्यादा होगी। स्थानीय स्तर पर हलवाई या विक्रेता यह कैसे तय कर सकते हैं कि मिठाई की उपयोग सुरक्षित अवधि कितनी मानी जाए। खाद्य सुरक्षा विभाग और मिठाई विक्रेताओं को दिशा-निर्देश और नियमों की जानकारी है ही नहीं। छोटे मिठाई विक्रेताओं के यहां तो फ्रीज तक नहीं हैं। लड्डू, बरफी और ऐसी ही अन्य मिठाइयों को १५-२० दिन तक या बिक जाने तक रखे रहते हैं। दोनों उपनगरों में संचालित हो रही बड़ी व भव्य मिठाई की दुकानों के बारे में बस इतना ही कहा जा सकता है कि ऊँची दुकान फीका पकवान।

चासनी वाली ज्यादातर मिठाइयों को खुले में ही काउंटर पर रखा जाता है। इनमें धूल-धुआं का मिलना तो सामान्य चीज है, बारिश अन्य मौसम में कीडे-मकोड़े भी गिरते रहते हैं। कई बार नयापन लाने के लिए बासी मिठाई को ही नई के साथ मिलकर मात्रा बढ़ा लेते हैं। भव्य और बड़े मिष्ठान प्रतिष्ठानों के कारखाने गन्दे व संकरे स्थानों पर बने हुए हैं।

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