प्रत्येक वर्ष फरवरी माह के दूसरे सप्ताह में 'सुरक्षित इंटरनेट दिवस' मनाया जाता है। इस बार आठ फरवरी को यह दिवस मनाया जाएगा। इस दिवस को मनाने के पीछे जो कारण है वह यह है कि सभी लोग,विशेषकर युवा व बच्चे इंटरनेट का सुरक्षित व संयमित उपयोग करें। इस वर्ष यानी कि वर्ष 2023 में सुरक्षित इंटरनेट दिवस की थीम' एक साथ एक बेहतर इंटरनेट के लिए' रखी गई है, जिसका उद्देश्य लोगों को इंटरनेट को उपयोग करने के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाने की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित करना है।
- सुनील महला
पहला सुरक्षित इंटरनेट दिवस 6 फरवरी 2004 को हुआ था और यह 14 देशों (13 यूरोपीय संघ के देशों और ऑस्ट्रेलिया) में मनाया गया था। जानकारी देना चाहूंगा कि भारत में इंटरनेट की शुरुआत 1986 में हुई थी और यह केवल शैक्षिक और अनुसंधान समुदाय के लिए उपलब्ध था। इंटरनेट तक आम जनता की पहुंच 15 अगस्त 1995 को शुरू हुई, और 2020 तक 718.74 मिलियन सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं जिनमें 54.29% आबादी शामिल है। अद्यतन आंकड़ों के अनुसार जून 2022 तक, भारत में ग्रामीण इंटरनेट ग्राहकों की संख्या 339 मिलियन से अधिक थी तथा जुलाई 2022 तक 833 मिलियन सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, जिनमें 59.28% आबादी शामिल है ।
चीन में सबसे ज्यादा इंटरनेट यूजर्स हैं। भारत इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में दूसरे स्थान पर है, हालाँकि इसकी आबादी का केवल 20 प्रतिशत ही इंटरनेट का उपयोग करता है। यूके और यूएस जैसे देशों की प्रवेश दर 90 प्रतिशत से अधिक है। इंटरनेट के मामले में चीन,भारत,अमेरिका,इंडोनेशिया और रसिया का स्थान प्रमुख है। वर्ल्ड मोबाइल डेटा प्राइसिंग 2021 की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में इजरायल सबसे सस्ता इंटरनेट प्लान दे रहा है। वहां एक GB डेटा की कीमत 3.75 रुपए है। इसके बाद सस्ते डेटा के मामले में किर्गिस्तान, फिजी, इटली, सूडान और रूस का नंबर आता है। दुनिया का सबसे महंगे इंटरनेट में क्रमशः इथोपिया, यूनाइटेड अरब अमीरात, कतर,ओमान व सऊदी अरेबिया आते हैं। वैसे युगांडा में भी दुनिया का महंगा इंटरनेट उपलब्ध है।
अमेरिका का रोड नेटवर्क दुनिया का सबसे लंबा और सबसे बड़ा रोड नेटवर्क है। भारत की बात की जाए तो भारत सबमरीन केबल के माध्यम से सिंगापुर में प्रमुख इंटरनेट डेटा सेंटर हब से जुड़ा है । वैसे, इंटरनेट का पुराना नाम 'अर्पानेट है जिसका मतलब होता है- एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी नेटवर्क, जिसे 1969 में यू.एस. डिफेंस द्वारा तैयार किया गया था। इससे जो नेटवर्क विकसित हुआ उसे हम इंटरनेट के नाम से जानते हैं। यहाँ यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि विंटन ग्रे सेर्फ (जन्म 23 जून, 1943) एक अमेरिकी इंटरनेट अग्रणी है और उन्हें "इंटरनेट के पिता" में से एक के रूप में पहचाना जाता है।
सुरक्षित इंटरनेट दिवस सुरक्षित इंटरनेट केंद्रों के एक यूरोपीय नेटवर्क, इंसेफ द्वारा चलाया जाता है। हालांकि यूरोप के बाहर भी इस दिवस को आजकल हरेक देश में मनाया जाता है। इसके तहत बेहतर इंटरनेट हेतु जागरूकता और शैक्षिक अभियान चलाये जाते हैं, हेल्पलाइन चलाई जाती हैं और युवाओं के साथ मिलकर काम किया जाता हैं। आज इंटरनेट के माध्यम से हमें रोजाना विभिन्न फ्रॉड देखने को मिलते हैं, इसी दिशा में यह दिवस एक महत्वपूर्ण कदम है। सच तो यह है कि सुरक्षित इंटरनेट दिवस दुनिया भर के बच्चों और युवाओं द्वारा ऑनलाइन तकनीक के सुरक्षित और अधिक जिम्मेदार उपयोग को बढ़ावा देता है।
आज दुनिया में अधिकतर लोग सोशल नेटवर्किंग साइट्स यथा व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम के साथ विभिन्न कार्यों के लिए इंटरनेट का बहुतायत उपयोग करते हैं। आज साइबर अपराध हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है। साइबर सुरक्षा के लिए हमें अपने मोबाइल, लैपटॉप को सुरक्षित रखना चाहिए और केवल विश्वसनीय स्रोतों से ही विभिन्न एप्लीकेशंस को डाऊनलोड करना चाहिए। हमें यह चाहिए कि हम अपने आपरेटिंग सिस्टम को अप टू डेट रखें।
हमें एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल करना और सुरक्षित लॉक स्क्रीन का भी उपयोग करना सुनिश्चित करना चाहिए। इसके अलावा कंप्यूटर में सुरक्षित सॉफ्टवेयर का उपयोग करके, मजबूत पासवर्ड सेट करके, सोशल नेटवर्किंग साइटों को निजी मोड में रखकर और हर निजी जानकारी को ऑनलाइन साझा न करके हम साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने की शुरुआत कर सकते हैं। इसके अलावा,साइबर अपराध की स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों, सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग, सूचना सुरक्षा संगठनों, इंटरनेट कंपनियों और वित्तीय संस्थानों के बीच बहु-आयामी सार्वजनिक-निजी सहयोग स्थापित करने की आवश्यकता है।
साइबर क्राइम के अंतर्गत के आज विभिन प्रकार के साइबर अपराध आते है जिनमे हैकिंग, ऑनलाइन ठगी, फिशिंग, स्पैम ईमेल, रैनसमवेयर, पोर्नग्राफी, ऑनलाइन ब्लैकमेल एवं अन्य अपराध शामिल है। आज हैकिंग के अलावा साइबर इंटरनेट का इस्तेमाल भी लगातार बढ़ता जा रहा है। धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा, मनोरंजन, समाचार, संवाद और सोशल मीडिया के ब्लैकमेल आदि अपराध भी लगातार बढ़ते चले रहे हैं। कम्प्यूटर का विकास मनुष्य के जीवन में आमूल चूल परिवर्तन लाया,काम तेजी से सटीकता और बिना गलतियों के आसानी से होते हैं, लेकिन अब इसी कम्प्यूटर का प्रयोग लोग गलत कामों को अंजाम देने में करने लगे हैं।
वास्तव में, कंप्यूटर के माध्यम से किसी गैर कानूनी काम को अंजाम देना ही साइबर क्राइम के अंतर्गत आता है। यह ठीक है कि तकनीक से हमें बहुत सी सुविधाएं मुहैया करवाई हैं लेकिन साइबर अपराध पर नियंत्रण जरूरी है। आज डिजिटल तकनीक के तेज विस्तार के साथ भारत में एक अरब से अधिक लोग एंड्रॉयड या अन्य फोन इस्तेमाल करने लगे हैं। कम्प्यूटर और लैपटॉप का उपयोग तो हो ही रहा है।
आज व्यक्तियों के विरुद्ध अपराध में क्रमशः साइबर स्टॉकिंग, अश्लील सामग्री का प्रसार, मानहानि, हैकिंग, क्रैकिंग, ई मेल और एस एम एस स्पूफिंग, कॉर्डिंग,धोखाधड़ी, चाइल्ड पोर्नोग्राफी,ई-मेल, वीडियो या फोन के उपयोग के माध्यम से किसी व्यक्ति को धमकी देना शामिल हैं। इतना ही नहीं संपत्ति के खिलाफ भी अपराध हो रहे हैं। इनमें बौद्धिक संपदा अपराध, साइबर स्कवैटिंग, कम्प्यूटर हैक करना, इंटरनेट टाइम थेफ्ट शामिल हैं। साइबर वारफेयर, पाइरेटेड सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल, अनाधिकृत सूचनाओं पर कब्जा साइबर अपराध के अंतर्गत ही आते हैं।
आज सूचना तकनीक से, इंटरनेट युग से डिजिटल लेन-देन, स्वास्थ्य सेवाओं और मौसम व कारोबार संबंधी जानकारियां जैसी सेवाओं का फायदा उठाया जा रहा है। ऐसे में डाटा सुरक्षा की चिंता भी लगातार बढ़ती जा रही है। हालांकि भारत में करीबन दो दशक पहले से ही साइबर कानूनों को बनाने और लागू करने का सिलसिला चल रहा है, लेकिन ये प्रयास आंशिक रूप से ही कामयाब हो सके हैं। ऐसे में कठोर कानूनी प्रावधानों की जरूरत तो है, साथ ही पुलिस और अन्य एजेंसियों को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने और प्रशिक्षित करने की आवश्यकता भी है। सरकार बैंकों तथा पुलिस-प्रशासन की ओर से लोगों को अक्सर जागरूक करने के लिए सुझाव एवं निर्देश दिये जाते हैं, बावजूद इसके लापरवाही में या सही जानकारी नहीं होने के कारण लोग अपने डाटा की सुरक्षा नहीं कर पाते। आज एप के जरिये कर्ज के जाल में फंसाने के आपराधिक नेटवर्क कुकरमुत्ते की तरह फैले हैं और साइबर अपराध की अनेक घटनाओं की खबर आये दिन हमें अखबारों में, मीडिया की सुर्खियों में देखने, पढ़ने को मिलती रहती हैं।
मजबूत पासवर्ड सेट करके, सोशल नेटवर्किंग साइटों को निजी मोड में रखकर और हर निजी जानकारी को ऑनलाइन साझा न करके हम साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने की शुरुआत कर सकते हैं। इसके अलावा,साइबर अपराध की स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों, सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग, सूचना सुरक्षा संगठनों, इंटरनेट कंपनियों और वित्तीय संस्थानों के बीच बहु-आयामी सार्वजनिक-निजी सहयोग स्थापित करने की आवश्यकता है। साइबर अपराध से बचने के लिए हमें अपने मोबाइल, लैपटॉप को सुरक्षित रखना चाहिए और केवल विश्वसनीय स्रोतों से ही विभिन्न एप्लीकेशंस को डाऊनलोड करना चाहिए। हमें यह चाहिए कि हम अपने आपरेटिंग सिस्टम को अप टू डेट रखें।
हमें एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल करना और सुरक्षित लॉक स्क्रीन का भी उपयोग करना सुनिश्चित करना चाहिए अन्यथा, कोई भी हमारे फोन, लैपटॉप, कम्प्यूटर पर हमारी सभी व्यक्तिगत जानकारी तक पहुंच सकता है। कम्प्यूटर में सुरक्षा साफ्टवेयर हो तो बहुत ज्यादा अच्छा रहेगा।जब कोई साइबर अपराधी सोशल मीडिया अकाउंट, ओटीपी, पिन कोड, व्यक्तिगत चित्र या वीडियो जैसी व्यक्तिगत जानकारी अपने पास इक्कठ्ठा कर लेता है तो हम सामाजिक या आर्थिक रूप से असुरक्षित हो जाते हैं, अतः हमें यह चाहिए कि हम सजग व जागरूक रहें। हमें अपनी गोपनीय जानकारी किसी के साथ साझा नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा,इंटरनेट एक्सेस के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरणों पर हमेशा हमें एंटीवायरस का उपयोग करना चाहिए और उन्हें अपडेट रखना चाहिए।
हमें केवल वैध वेबसाइटों तक पहुँचने के लिए वेब ब्राउज़िंग रेलिंग सेट करना चाहिए। इसके अलावा, हमें स्पैम ईमेल में अटैचमेंट/यूआरएल खोलने से बचना चाहिए। हमें ऐसे लिंक नहीं खोलने चाहिए जिनका सोर्स अज्ञात हो।संदिग्ध संदेश/ईमेल के मामले में सीधे स्रोत से संपर्क करना चाहिए। हमें बैंक खाते की शेष राशि और गतिविधियों से अवगत रहना चाहिए। इसके साथ ही, हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि जब कोई व्यक्ति दुर्भावनापूर्ण तरीके से इंटरनेट पर हमसे संपर्क साधने का प्रयास करता है, तो बिना देर किए हम साइबर अपराध की शिकायत दर्ज करें। तभी हम साइबर अपराधों से बच सकते हैं। सुरक्षित इंटरनेट दिवस मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य यही है कि हम इंटरनेट का संयमित व विवेकपूर्ण उपयोग करें।
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