जैन मुनि लोकेश ने मदनी के बयान का विरोध करते हुए कहा कि यह अधिवेशन लोगों को जोड़ने के लिए हो रहा है। ऐसे में आपत्तिजनक बातें क्यों?
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन के आखिरी दिन मौलाना अरशद मदनी के बयान पर बवाल हो गया। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के 34वें अधिवेशन में मौलाना अरशद मदनी ने मोहन भागवत के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि अल्लाह और ओम एक हैं। जिनके बयान के विरोध में अधिवेशन में पहुंचे अलग-अलग धर्मगुरु मंच छोड़कर चले गए।
मैंने बड़े-बड़े धर्म गुरुओं से पूछा जब कोई नहीं था, न श्री राम, न ब्रह्मा थे, न शिव थे, तो सवाल पैदा होता है? तब मनु पूजते किसको थे? कोई कहता है शिव को पूजते थे, लेकिन उनके पास ईलम नहीं है। वहीं बहुत कम लोग बताते हैं कि मनु नाम का कुछ नहीं था दुनिया में, वो ओम को पूजते थे, तो मैनें कहा ओम कौन है? तो फिर बहुत से लोगों ने कहा वो एक हवा है, जिनका कोई रुप नहीं है, जिसका कोई रंग नहीं है वो दुनिया में हर जगह है। जिन्होंने आसमान बनाया ,धरती बनाई तो मैनें कहा अरे बाबा इन्हीं को तो हम अल्लाह कहते हैं, इन्हीं को तो तुम ईश्वर कहते हो, इसी को तो हम अल्लाह कहते हैं, फारसी बोलने वाले खुदा और अंग्रेजी बोलने वाले गॉड कहते हैं. इसका मतलब ये है कि मनु एक अल्लाह एक ओम यानि को पूजते थे। ये हमारे मुल्क की ताकत है।
जैन मुनि लोकेश ने मदनी के बयान का विरोध करते हुए कहा कि यह अधिवेशन लोगों को जोड़ने के लिए हो रहा है। ऐसे में आपत्तिजनक बातें क्यों? इसके बाद वे कार्यक्रम से उठकर चले गए। उनके बाद दूसरे धर्मों के संतों ने भी मंच छोड़ दिया।
भारत जितना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत का है, उतना ही मदनी का भी है। रामलीला मैदान में चल रहे जमीयत के 34वें सत्र के दौरान शनिवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने यह बातें कही थीं।
अधिवेशन में मौलाना महमूद मदनी ने शनिवार को कहा था कि अल्लाह के पहले पैगंबर का जन्म यहीं हुआ था और यह मुसलमानों का पहला वतन है। उन्होंने यह दावा भी किया कि देश में पिछले कुछ वर्षों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं और सरकार और प्रशासन को जिस तरह कार्रवाई करनी चाहिए थी, नहीं की। उन्होंने कहा, इस तरह की घटनाओं के खिलाफ हम आवाज भी उठाएंगे और लड़ाई भी लड़ेंगे। मदनी ने कहा कि अल्पसंख्यकों का आरएसएस, भाजपा या फिर बहुसंख्यकों से कोई धार्मिक या नस्ली द्वेष नहीं है। उन्होंने देश को महाशक्ति बनाने के लिए संघ प्रमुख भागवत को आपसी बैर और दुश्मनी को भुलाकर एक-दूसरे से गले मिलने का न्योता दिया।
