'नाटू-नाटू' को ऑस्कर विनर बनाने के पीछे हैं इनका हाथ, भारत को दिलाया विश्व में सम्मान

'नाटू-नाटू' को ऑस्कर विनर बनाने के पीछे हैं इनका हाथ, भारत को दिलाया विश्व में सम्मान

'नाटू-नाटू' गाने ने सर्वश्रेष्ठ ओरिजनल सॉन्ग के लिए ऑस्कर 2023 का अवॉर्ड अपने नाम किया है। वहीं इस सफलता के पीछे किसका हाथ है आइए जान लेते हैं। 







भारत के लिए इस समय गौरव का माहौल है। साउथ इंडिया के गाने नाटू-नाटू ने 'बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग' श्रेणी में हॉलीवुड के सबसे बड़े सम्मान 'ऑस्कर 2023' अवॉर्ड को अपने नाम कर लिया है। 95वें अकादमी अवॉर्ड को हासिल करते हुए नाटू-नाटू ने टेल इट लाइक ए वूमेन के अपलॉज, टॉप गन: मैवरिक के होल्ड माई हैंड, ब्लैक पैंथर: वकांडा फॉरएवर के लिफ्ट माई अप और एवरीथिंग एवरीवेयर ऑल एट वंस के दिस इज ए लाइफ गानों को पीछे छोड़ दिया है। नाटू-नाटू की इस सफलता के पीछे एम एम कीरावनी हैं। आइए जान लेते हैं कि एम एम कीरावनी कौन हैं जिन्होंने अपने टैलेंट के दम पर अकादमी अवॉर्ड में भारत का लोहा मनवा दिया है-


एम एम कीरावनी आंध्र प्रदेश के कोव्वुर के रहने वाले हैं। साथ ही एक संगीत प्रतिभाशाली वंश से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता एक गीतकार और पटकथा लेखक हैं। वहीं उनका भाई एक गायक और संगीत डायरेक्टर है। बेहद कम लोगों को पता है कि एम एम कीरावनी साउथ के स्टार निर्देशक एस एस राजामौली के चचेरे भाई हैं। 


एम एम कीरावनी ने तेलुगु फिल्म उद्योग में एक सहायक संगीत निर्देशक के रूप में अपना संगीत कैरियर शुरू किया। उन्होंने दिग्गज गीतकार वेटुरी के मार्गदर्शन और निर्देशन में काम किया। मौली की 1990 की फिल्म 'मनासु ममता' उनका पहला बड़ा ब्रेक था जिसने उनके लिए तेलुगु फिल्म उद्योग में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने का रास्ता साफ कर दिया। 

 

एम एम कीरावनी ऑस्कर जैसे प्रसिद्ध सम्मान से पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम कर चुके हैं। कीरावनी ने 'बाहुबली 2' के लिए सैटर्न अवार्ड के लिए नामांकन दर्ज किया है। जानकारी के लिए यह भी बताते चलें कि नाटू-नाटू गाने ने पहले ही सर्वश्रेष्ठ गीत श्रेणी में गोल्डन ग्लोब्स और क्रिटिक्स चॉइस अवॉर्ड्स सहित कई अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते हैं।

 

एम एम कीरावनी ने 'मगधीरा' और 'बाहुबली 2' में हिट साउंडट्रैक के लिए पुरस्कार जीते हैं। उनके पास 11 नंदी पुरस्कार हैं, जिनमें से 3 पार्श्व गायन के लिए हैं। उन्हें हाल ही में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया। उनका पहला बड़ा पुरस्कार 1997 की शुरुआत में था। यह अन्नामय्या के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीत था।

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