कुर्सी अवसरवादिता ही महाधर्म

कुर्सी अवसरवादिता ही महाधर्म

कुर्सी किंग के वचनों की सर्वत्र व्याख्या हो रही है। कुर्सी किंग सियासत बाज आचार्य महामंत्री जी का कहना है कि कुर्सी शास्त्र के अलावा अन्य सभी शास्त्र बेकार होते हैं। चमचों का उपकारक तथा समाज की स्थिति में स्वयं को सुरक्षित रखने वाला कुर्सी शास्त्री ही सर्वाधिक महान होता है। कुर्सीधिपति को अधर्म, अन्याय, अत्याचार, अनाचरण मात्र में ही मोक्ष दायक बताया गया है। 



- रामविलास जांगिड़


कुर्सी शास्त्र के विषय में बोध कराते हुए स्वयं आचार्य महामंत्री कुर्सी किंग श्रीजी का कहना है कि उनकी अनीति के समान कोई दूसरी अनीति तीनों लोकों में नहीं होनी चाहिए। अतः समस्त कुर्सीकांक्षी जीवों को इसका सांगोपांग अध्यापन-अध्ययन करना चाहिए। कुर्सी शास्त्र का ज्ञान जरूरी बताते हुए कहते हैं कि चमचों का पालन और जनता का दमन ये दोनों राजाओं उर्फ लोकराज के नेताओं के लिए परम धर्म है। ये दोनों ही अनीतियां बिना कुर्सी ज्ञान के प्राप्त नहीं हो सकती। 


अनीति रहित होना ही मंत्री के लिए महान धर्म होता है। जिस नेता के पास अधर्म, अन्याय और मौका परस्ती जैसा पवित्र गठबंधन होता है उसके पास सभी ओर से महामंत्री पद का बुलावा आता है। दलबदल संहिता व गठबंधन ठगबंधन अवसरवादिता ही महाधर्म है। इसे हर नेता को प्राण-प्रण से अपनाना चाहिए। जो मंत्री व नेता अधर्म में निरत, चमचों का पालक, मौका परस्ती गठबंधन शास्त्री, कौवे के समान बकरबाज, इंद्रिय विषयों के अभिमुख होते हुए कुर्सीवान होता है वही नेता अंत में कुर्सीमोक्ष की प्राप्ति करता है। 


कुर्सी किंग महामंत्री कहते हैं कि नेता मंत्री के लिए दंभी, पाखंडी व धूर्तराज जैसे गुणवान होना परम आवश्यक है। अनीति का मूल ही दंभ और पाखंड है। चमचों में निश्चय, आस्था एवं विश्वास होने का मूल ही दंभ में व्याप्त है। चमचों के बल पर पाखंड की प्रतिष्ठा होती है। अतः चमचों को यथोचित न्यास, निगम, परिषद, अकादमी, संस्थान, बोर्ड, मंडल आदि की लुढ़कती कुर्सी पर लुढ़काते रहना चाहिए। उपचमचों को भी किसी न किसी मंडल-बंडल, कमेटी-फमेटी में सैट करना चाहिए। दंभ और पाखंड का मूल शत्रुओं पर विजय प्राप्त कराता है। 


गठबंधन, ठगबंधन, लट्ठबंधन, वादे, संकल्प, पाखंड व सौगंध - ये सातों चंचल है। ये स्थिर रहने वाले नहीं है। अतः यह जानकर सभी विशेषकर नेता-मंत्री को अधर्म परायण रहना ही चाहिए। सुख का उपयोग-उपभोग हरदम अकेले ही करें। हरदम विदेश यात्रा में अपने आप को संलग्न करते रहें। इधर-उधर से पार्टी बाजी के लिए जुटाए गए फंड को अपने लिए उपयोग में ले लें। ऐसे धन को विदेशी बैंकों में जमा कराते रहना चाहिए। 


वक्त-बेवक्त झूठे वादे व जुमलों की बौछार करें। गठबंधन जोड़े, तोड़ें, मोड़ें और फोड़ें । मौकापरस्ती महाठगबंधन करें। तब कुर्सीजीवी समस्त सुखों का स्वामी बनकर दिक-दिगंतर में मंत्री बनकर कुर्सीपति ही बने रहेगा। वह सृष्टि के हर भोग का आदि-अनंत स्वामी ही रहेगा। कुर्सी किंग आचार्य महामंत्री का यह कुर्सी बोध हर एक कुर्सीकांक्षी के लिए अमृत कोष है। हर एक नेता-मंत्री के लिए ये अमृत वचन प्रतिदिन पारायण योग्य है।'



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