अम्बेडकरनगर। लोकसभा चुनाव हारने के बाद, पूर्व सांसद रितेश पांडे अपने एक बयान को लेकर चर्चा में आ गए हैं। उन्होंने जिले में एक जाति विशेष का वर्चस्व होने का दावा किया, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। रितेश पांडे ने दावा किया कि जिले में एक ही समाज के लोग राजनीतिक पदों पर काबिज हैं, जिनमें जिला पंचायत अध्यक्ष, तीन ब्लॉक प्रमुख, आठ जिला पंचायत सदस्य, कटेहरी में 80 प्रधान, एक सांसद और दो विधायक शामिल हैं।
पूर्व सांसद का यह बयान भाजपा नेता अजीत सिंह के गांव चांदपुर में आयोजित एक जनसभा के दौरान सामने आया। इस जनसभा में भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह और भाजपा जिला उपाध्यक्ष डॉ. रजनीश सिंह भी उपस्थित रहे।
एक जाति का वर्चस्व: रितेश का आरोप
रितेश पांडेय ने कहा, “हमारे क्षेत्र में एक ही जाति के लोग प्रमुख राजनीतिक पदों पर काबिज हैं। इनमें एक सांसद, एक जिला पंचायत अध्यक्ष, दो विधायक, तीन ब्लॉक प्रमुख, आठ जिला पंचायत सदस्य और 80 प्रधान शामिल हैं।” उन्होंने इस बात की ओर इशारा किया कि एक विशेष जाति के लोग पूरे राजनीतिक ढांचे को नियंत्रित कर रहे हैं।
तथ्यों की अनदेखी या रणनीतिक बयान?
हालांकि, पांडेय का यह बयान कई सवालों को जन्म देता है। उनके द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों में काफी विसंगति है। उदाहरण के लिए, उन्होंने चार जिला पंचायत सदस्यों को आठ बताया, और कटेहरी में 80 प्रधानों की संख्या को भी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। इस प्रकार, राजनीतिक पंडितों का मानना है कि उनके बयानों का उद्देश्य राजनीतिक लाभ उठाना हो सकता है।
राजनीति में जातीय समीकरणों का प्रभाव
पांडेय के बयानों ने न केवल भाजपा बल्कि अन्य राजनीतिक दलों में भी प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। विपक्षी दलों ने इसे जातीय राजनीति के एक स्पष्ट उदाहरण के रूप में देखा है और इसकी कड़ी निंदा की है। इसके विपरीत, भाजपा के कुछ नेता पांडेय के बयानों से दूरी बनाते हुए इसे पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ मानते हैं।