अम्बेडकरनगर: शनिवार को जनपद में आयोजित "थाना समाधान दिवस" में पुलिस प्रशासन ने जनता से वादा किया था कि उनकी समस्याओं का समाधान त्वरित तरीके से किया जाएगा, लेकिन नतीजा कुछ और ही निकला! 😞
99 दर्ज मामलों में से सिर्फ 14 मामलों का ही समाधान हुआ! 🤯
🔴 समाधान दिवस का उद्देश्य क्या था?
थाना समाधान दिवस का उद्देश्य था कि फरियादी अपनी समस्याओं का सीधा समाधान थाना स्तर पर पा सकें। लेकिन इस दिन की कार्यवाही ने सवाल खड़ा कर दिया कि क्या यह आयोजन सिर्फ एक रूटीन बनकर रह गया है? ❓
📊 क्या हुआ समाधान में?
🔹 99 मामलों में से 14 ही हल हुए!
🔹 भूमि विवाद सबसे ज़्यादा थे, लेकिन न संतोषजनक समाधान हुआ।
🔹 राजस्व विभाग और पुलिस प्रशासन के बीच समन्वय की कमी के कारण अधिकांश मामले अधूरे रह गए। ⚠️
😡 क्या हुआ फरियादियों के साथ?
मुहम्मद शकील ने कहा:
“मेरे ज़मीन के मामले में सिर्फ तारीख पर तारीख मिली, समाधान कुछ नहीं हुआ! मुझे अब फिर से इंतजार करना होगा।”
रमेश कुमार (अलीगंज निवासी) बोले:
“क्या इसका मतलब यह है कि बाकी लोग फिर से लंबी प्रक्रिया में फंसे रहेंगे?” 😤
🚨 कहाँ हुआ समाधान?
🔹 अकबरपुर और जैतपुर थाना क्षेत्रों में कुछ मामलों का तत्काल निस्तारण हुआ, लेकिन संख्या इतनी कम थी कि अधिकांश फरियादी संतुष्ट नहीं हो पाए। 😕
💔 क्या थी मुख्य समस्या?
समन्वय की कमी - पुलिस और राजस्व विभाग के बीच कोऑर्डिनेशन की कमी।
ध्यान केंद्रित करने वाली समस्याएँ - भूमि विवादों में भौतिक सत्यापन की कमी, जिससे काम में देरी हुई।
अधिकारियों की सुस्ती - शिकायतकर्ताओं से संवाद हुआ, लेकिन समाधान नहीं हो सका।
💬 अधिकारियों का क्या कहना था?
पुलिस अधीक्षक केशव कुमार ने कहा,
"हमने निस्तारण में किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया। जिन मामलों को हल नहीं किया जा सका, उन्हें फॉलो-अप के लिए भेजा जाएगा।” लेकिन क्या यह बयान फरियादियों को संतुष्ट कर पाया? 🧐
📣 फरियादियों का दावा
फरियादियों का कहना था कि समाधान दिवस का आयोजन बस एक औपचारिकता बनकर रह गया। प्रशासन को अपनी व्यवस्था को सुधारने की सख्त ज़रूरत है! 🔧
राजेश तिवारी (राजेसुल्तानपुर थाना क्षेत्र से) ने कहा,"हमेशा समाधान दिवस पर अपनी समस्याओं को लेकर आते हैं, लेकिन बार-बार हमें लंबी प्रक्रिया में फंसा दिया जाता है। प्रशासन को अपनी व्यवस्था सुधारनी चाहिए!" 😓
🔴 क्या आगे भी यही होगा?
समाधान दिवस के दौरान, प्रशासन की अप्रत्याशित गति और कमज़ोर समन्वय ने इस आयोजन की सफलता को सवालों के घेरे में डाल दिया है। इस दिन का उद्देश्य सिस्टम को पारदर्शी और जन केंद्रित बनाना था, लेकिन क्या यह सिर्फ एक औपचारिकता बनकर रह जाएगा?
🌟 फरियादियों का कहना है, "समाधान दिवस सिर्फ एक नाम बनकर रह गया है, जिसमें वास्तविक समस्याओं का समाधान नहीं किया गया।" 😔
👉 अब सवाल ये है:
क्या "थाना समाधान दिवस" को सिर्फ एक दिखावा माना जाए, या इसे वास्तविक प्रभावशाली बदलाव का हिस्सा बनाया जाए? 🤔
📝 यह कहानी किसी और के साथ नहीं, बल्कि आपके और हमारे समाज की ज़रूरतों की है।
