पीएम मोदी के रैली से पहले सीएम धामी ने मारा सिक्सर

पीएम मोदी के रैली से पहले सीएम धामी ने मारा सिक्सर

देहरादून। उत्तराखंड में मार्च 2022 से पहले नई सरकार का गठन हो जाएगा। ऐसे में चुनाव को लेकर भाजपाए कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दल अपने.अपने दावों को मजबूत करने में जुटी है। सत्ताधारी भाजपा भी दोबारा सत्ता पाने के लिए पूर्व में लिए गए निर्णयों को सुधारने में लगी है। ऐसा ही एक फैसला था देवस्थानम बोर्ड काए जिसका पहले ही दिन से स्थानीय पंडा समाज विरोध कर रहे थे। इतना ही नहीं तीर्थ पुरोहितों ने अपने आंदोलन से सरकार की मुश्किलें बढ़ाने का काम किया। 

केन्द्र में एक तरफ जहां ​कृषि कानून बिल को लेकर किसानों ने संघर्ष कियाए उसी तर्ज पर उत्तराखंड के चारों धामों के पंडा समाज ने राज्य सरकार को अपने निर्णय बदलने में मजबूर कर दिया। तीर्थ पुरोहितों की भावना के साथ संत समाज ने भी अपना समर्थन देकर प्रदेश सरकार को आखिरकार बोर्ड को भंग करना ही पड़ा। ऐसे में जहां इस फैसले से पुरोहित और पंडा समाज में खुशी की लहर हैए वहीं इसे धामी सरकार का चुनावी साल में बड़ा चुनावी दांव भी माना जा रहा है।

देवस्थानम बोर्ड को भाजपा की सरकार में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बनवाया और लागू किया। जिसके बाद पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को इसका विरोध भी झेलना पड़ा। इतना ही नहीं जब त्रिवेंद्र सिंह केदारनाथ दर्शन के लिए मंदिर में प्रवेश करना चाहते थेए तो पुरोहितों ने उनका रास्ता रोककर जमकर प्रदर्शन् किया। जिसके बाद त्रिवेंद्र सिंह को वापस लौटना पड़ा। इसके बाद राज्य सरकार पूरी तरह अलर्ट हो गई और आखिरकार सरकार को बोर्ड भंग करना पड़ा है। 

चुनाव नजदीक आते ही सरकार के लिए बोर्ड मुसीबत बनता जा रहा था। जिसका विपक्ष के तौर पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पूरा राजनीतिक लाभ ले रही थी। ऐसे में भाजपा का कैडर वोट भी भाजपा से दूर जाता हुआ दिखने लगा। जिस कारण भाजपा को चुनाव में जाने से पहले बोर्ड को भंग करना पड़ा।

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