एंड्रॉयड / स्मार्ट फोन या बेगिंग बाउल (भिक्षा पात्र)

एंड्रॉयड / स्मार्ट फोन या बेगिंग बाउल (भिक्षा पात्र)

- डा. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी

.अब तो यह सिद्ध हो गया है कि हम वाकई पिछड़े हैं। लोग 21वीं सदी की हाईटेक सिस्टम से हर क्रियाएँ करने लगे हैं और एक हम हैं कि वही कलम.कागजए वही पुराना लकड़ी का पैड जो वर्षों से इस्तेमाल करते चले आ रहे हैंए अब भी हमारे लेखनकक्ष स्टडी रूम में मौजूद है। लोगों के हाथों में भिक्षा.पात्र ;कटोराद्ध सरीखा लम्बा.चौड़ा एण्ड्रायड फोनध्स्मार्टफोन होता हैए और एक हम है कि इस आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से महरूम हैं। लोग व्हाट्स एप्पए फेसबुक के एकाउण्ट क्रिएट करके अपने दोस्तों से हमेशा 63 के आँकड़े में बने रहते हैं और हम हैं कि एण्ड्रायड फोन न होने की वजह से अपने कथितध्तथाकथित दोस्तों से 36 की पोजीशन बना रहे हैं।

हमने देखा है कि अब तो अशिक्षितए अल्पशिक्षितए निठल्लों से लेकर वीण्आईण्पीण् कहलाने वालों के पास स्मार्टफोन जैसा भिक्षा.पात्र रहता है। ये सभी इस महँगे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का किस तरह उपयोग करते हैं यह जिज्ञासा जागी तो कुछेक से पूंछने का साहस बांधकर प्रश्न किया कि भाई जान आपके हाथ में यह ष्बेगिंग बाउलष् है क्याए आप तो अच्छे खासे दिख रहे हैं कुछ करिए पैसे कमाइए। हाथ में जो ले रखा है वह तो मेड इन एब्राड होगा।  नाम का उच्चारण इस तरह किया जैसे अबोध बच्चा अफीम को फफीम कहता हो। यहाँ मैं उस व्यक्ति से बात कर रहा थाए जो निरक्षर है और एन्ड्रायड फोन लिए उसमें नेट पैक डलवाकर गन्दी फिल्मों का अवलोकन करने के साथ.साथ उसके गाने सुन रहा था। 

अश्लील फोटो देखने और फूहड़ गानों का श्रवणकर आनन्द लेने के लिए शिक्षित होना कोई जरूरी नहीं है। बहरहाल यह सब सोच ही रहा था तभी वह बोल उठा और क्या पूँछना है जल्दी पूँछो। मैं चौतन्य हो गया फिर पूँछा कि इसको कितने में खरीदाघ् वह फिर सीना फुलाकर बोला 10 हजार मेंए फिर इतना कहकर वह उक्त मोबाइल सेट की स्क्रीन को हाथ की उँगलियों से टच करके लम्बाए छोटा और सीधा तिरछा करके कुछ देखने लगा था। उसकी उक्त स्मार्टफोन सेट पर की जाने वाली हरकत मुझे असहज बना रही थी। 

फिर मैंने कहा कि इस पर इन्टरनेट पैक डलवाते हो तो वह बोला हाँ यह पूंछने पर कि क्यों तो उत्तर दिया गाने एवं हालिया रिलीज फिल्मों की डाउनलोडिंग करके उनका आनन्द उठाने के लिए। मैं उसकी स्पष्ट बयानी से संतुष्ट हो गया था फिर आगे चल पड़ा। उसने क्या.क्या सोचा होगा हमने इस पर ज्यादा जोर नहीं डाला। एक दुकान है परचून की। कभी.कभार वहाँ शाम को 10.15 मिनट गुजारता हूँ। उस दुकान पर एक परिचारक है जिसकी उम्र 15.20 की बीच होगी यानि टीनएजर है। उसके पास भी एक बड़ा बेगिंग बाउल देखा जी हाँ वही स्मार्टफोन। पूँछा क्यों बेटा कितने का लिए वह बोला साढ़े सात हजार का। मासिक पगार यही कोई ज्यादा से ज्यादा 3 हजार रूपए होगी। माँ.बाप ने अपने लाडले को शहर के किराना दुकान पर इसलिए बतौर नौकर रखवाया कि वह जो कुछ भी कमाएगाए उससे घर का कुछ खर्च चलेगाए लेकिन यहाँ तो वह लड़का पगार से ज्यादा पैसे कपड़े व मोबाइल सेट में खर्च कर दे रहा है।

दुकानदार से मैंने कहा कि यह लड़का बड़ा शौकीन है यदि ऐसा न होता तो इतना महँगा मोबाइल सेट क्यों खरीदता। यहाँ बताना जरूरी है कि वह भी गन्दी फिल्में और अश्लील मनपसन्द गानों के लिए ही उसे ;स्मार्ट मोबाइल सेटद्ध खरीदा है। इन्टरनेट का पैक डलवाकर वह भी अपने पसन्दीदा गीतध्गानोंध्फिल्मों को डाउनलोड करता हैं। कई मेडिकलध्इंजीनियरिंग के स्टूडेण्ट्स भी मिले उनके हाथों में भी बेगिंग बाउल्स दिखेए लेकिन उनसे जब भी उसको रखने की वजह का जिक्र किया तो जवाब मिलाए यह उनके काम की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जिसके माध्यम से वह लोग गूगल और अन्य वेब साइट्स पर सर्च करके अपना ज्ञानवर्द्धन करते हैं।

कई और तरह के लोग दिखे जिन्होंने एन्ड्रॉयड फोन ले रखा था। वह लोग व्हाट्स एप्प के जरिए मित्रों को संदेश देते हैं इसके लिए उन्होंने टाइम टेबल बना रखा है। परन्तु बहुतों को देखा है कि वे दिन.रात बेगिंग बाउल चिपके रहते हैं। परिणाम क्या मिलता है यह तो नहीं मालूमए फिर भी इतना तो जरूर कहा जा सकता है कि वह लोग निठल्ले हो सकते हैंए वर्ना कामकाजी लोगों के पास इतना समय बेकारध्बर्बाद करने के लिए नहीं होता। 

मैं समझ सकता हूँ कि आप यही सोच रहे होंगे कि हैसियत नहीं है वर्ना यह भी एन्ड्रॉयड फोन जिसे ष्बेगिंग बाउलष् कह रहा हूँ रख कर ठीक उसी तरह उसका उपयोगध्प्रयोग करता जैसा कि अधिकाँश लोग कर रहे हैंए और तब बकवास न लिखता। यहाँ अपने पिछड़ेपन का गुबार निकाल रहा हूँ। आप यह भी सोच रहे होंगे कि मैं वाकई पिछड़ा व्यक्ति हूँ। सोच.सोच की बात है आप के सोचने पर पाबन्दी लगाना मेरे वश की बात भी नहीं। सोचना एक अच्छी क्रिया हैए इसे करते रहने से व्यक्ति की परसनैलिटी परिवर्तित होती है। आप सोचिए और मैं लिखूँ।

एक बात सुस्पष्ट कर देने में बेहतरी समझ रहा हूँ। वह यह कि मैं किसी से जीलस नही हूँए और न ही इतना पिछड़ा हूँ कि एन्ड्रॉयड फोन का इस्तेमाल मैं न कर सकूँ फिर भी आए दिन जो देख रहा हूँ उसी से मेरा पढ़ा.लिखा अन्तर्मन दंभी हो जाता है और फिर ईगोइस्ट बनकर मैं यह इन्तजार करने लगता हूँ कि जल्द ही ऐसे डिवाइसेस की कीमत इतनी बढ़ जाती जिससे ऐरे.गैरे नत्थू.खैरों की कुब्बत ही न होती कि एन्ड्रॉयड फोन खरीद कर उसका प्रदर्शन कर सकते। अपना काम है लिखनाए जो दिल में आया सो लिख डाला। इस पर किसकी किस तरह की प्रतिक्रिया होगीए इसको लेकर मुझे किसी भी प्रकार का भयध्आशंका नही है।

जहाँ तक मैं समझता हूँ कि आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस जिन्हें पॉकेटध्पर्स में आसानी से रखा जा सकता हैए पापुलस क्यों नहीं होंगे। वह चाहे किसी भी आयु वर्ग के युवकध्युवतियाँ हों अपने.अपने ढंग के मनोरंजन हेतु उनका इस्तेमाल तो करेंगे ही। मैं यह भी आशा करता हूँ कि आप भी मेरी इस बात से सहमत हो सकते हैं। साथ ही यह भी चाहता हूँ कि स्मार्ट फोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोगध्प्रयोग आवश्यकता पड़ने पर ही किया जाए। इसे अपने पास रखकर स्टेटस सिम्बल न बनाया जाए। जब ऐसा होगा तो मेरे जैसा लेखकए आलोचक इस डिवाइस को लेकर बेगिंग बाउल ;भिक्षापात्रद्ध शब्द का प्रयोग नहीं करेगा। काश! कुछ ऐसा ही हो जाए। .........

- डा. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी


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