बाहरी धनकुबेरों के लिए अम्बेडकर नगर बना जन्नत
सूदखोरो की कट रहीं चांदी, भर रहीं हैं तिजोरिया
युवा वर्गीय व गरीब जरूरतमंद हो रहा है बर्बाद
अंबेडकरनगर। जिले में विस्तृत रुप से फैला सूदखोरी का धंधा अब अप्रिय घटनाओं का जनक बनता जा रहा है। सूदखोरी, यानि, ब्याज़ पर जरुरतमदों को कर्ज देना। जिले में यह धंधा काफी पुराना है,वर्तमान में सूद का धन मूल और ब्याज़ वसूलने में काफ़ी झगड़ा-झंझट, यहां तक कि हत्या जैसी वारदातें होने लगीं हैं। सू़़त्रों के अनुसार, इन सूदखोरों से छोटे-बड़े दुकानदार, ठेला दुकानदार, व्यवसाई, प्रॉपर्टी डीलर, रिक्शाचालक, शराब के शौकीन, जुआरी, दिहाड़ी मजदूर और युवा वर्ग के लोग बैंक की झंझटों में न पड़कर इनसे मनमाने ब्याज दर पर कर्ज लेकर अपना काम चलाते हैं। ऐसे लोगों की जरुरतों को बड़ी कमजोरी मानकर सूदखोर इनका भरपूर शोषण करते हैं। बतातें हैं कि जिले में स्थानीय सूदखोरों की संख्या से अधिक ऐसे सूदखोरों की है, जो बाहरी जनपदों के रहने वाले
उदाहरण के तौर पर, बताया गया है कि अकबरपुर कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत एक पॉश कालोनी में कई सालों से एक बाहरी सूदखोर अपना लाखों-करोड़ों का धंधा फैलाये हुए है। इसके बारे में बताया जाता है कि स्थानीय दबंग, हैकड़ और प्रभावशाली लोगों के साथ इसका याराना है। साथ ही पुलिस का इसके धंधे में भरपूर सहयोग प्राप्त है। इसके बारे में बताया गया है कि यह धन्नासेठ रोब-रुआब के साथ अच्छे मनमाफिक ब्याज दर पर सूद पर पैसे बांटता है। इसके लिए अपने ग्राहकों से पैसा वसूली कोई कठिन कार्य नहीं है। इससे कर्ज के रुप में सूद लेने वाले लोग इसके प्रभाव से ही कांप जाते हैं।
मीडियासूत्रों के अनुसार, अकबरपूर-शहजादपुर शहर क्षेत्र के युवा सट्टेबाजी और जुआ के लिए इन सूदखोरों से आर्थिक इमदाद अच्छे ब्याज दर पर सूद के रुप में लेते हैं। इन्हीं सूत्रों के अनुसार, बीते महीनों जिले में झग़ड़ा-झंझट, मारपीट, हत्या जैसी कई अप्रिय घटनांए घट चुकी हैं, इन सब के पीछे सूदखोरी जुआ और सट्टेबाजी तथा पैसों का लेनदेन ही रहा।
कुल मिलाकर लब्बोलुआब यह कि इस जिले में सूदखोरी का धंधा अन्य व्यवसाय की तुलना में काफी फला-फूला हुआ है। सूदखोरी के धंधेबाज करोड़पतियों में शुमार हैं। पैसे के दम पर इन सभी के ताल्लुकात बड़े प्रभावशाली, माननीयों, प्रशासन व पुलिस महकमें के शीर्ष पदाधिकारियों से है। सूदखोरी करके मालामाल होने वाले सूदखोर चर्चा का विषय बने हुए हैं।
कहते हैं कि ये सूदखोर जहां सूदखोरी का लंबा-चौड़ा विस्तृत व्यवसाय करके स्वंय धनकुबेर बनें हैं, वहीं इनसे कर्ज के तौर पर सूद का पैसा लेने वाले लोग विशेष तौर पर युवा वर्ग अपना जीवन चौपट कर ले रहा है। सूत्रों के अनुसार, जिले में युवावर्ग द्वारा कर्ज-ब्याज सूद का पैसा वापस न कर पाने की स्थिति में इन सूदखोरों के प्रताड़ना का शिकार होता है। सुना और देखा यह भी गया है कि युवकों द्वारा की गई अधिकांश आत्महत्याएं व हत्याएं सूदखोरी का ही परिणाम रहीं हैं।
जिले के प्रबु़द्ध वर्गीय लोगों में सूदखोरी को लेकर चिंता व्याप्त हो गयी है। इन सभी ने सूदखोरी और बढ़ते सूदखोर इनसे लेने वाले सूद रुपी कर्ज यानि पैसों के जरुरतमंद.......सूदखोरी के परिणाम होने वाली अप्रिय घटनायें झगड़ा-झंझट और बवाल तथा हत्या रुपी जघन्य अपराध पर नियंत्रण लगाये जाने की आवश्यकता बताई है।
