अम्बेडकरनगर। (रेनबोन्यूज सामचार सेवा)। शहर की ढाई लाख आबादी को पेयजल संकट से राहत दिलाने के लिए शुरू की गई अमृत योजना टेस्टिंग में ही धड़ाम हो गई है। कई मोहल्लों में पाइप लाइनें फट गईं। अमृत योजना की अगर निष्पक्ष जांच हुई तो सरकारी नुमाइंदों पर इसका असर आ सकता है ।दो वर्ष पूर्व जल निगम द्वारा करवाए गए अमृत योजना की गुणवत्ता की पोल खुली। 65 करोड़ 26 लाख से अधिक की लागत से अमृत योजना का कार्य जल निगम द्वारा करवाया गया जो कि अब अयोध्या डिवीजन के हाथों में है। जल निगम ने काम की गुणवत्ता को ताक पर रखकर सरकारी धन का जमकर बंदरबांट किया है।
लगभग डेढ़ वर्ष बाद अमृत योजना की पहले ही टेस्टिंग में जगह-जगह लीकेज और शहर क्षेत्र में जलभराव की समस्या आ गई। केंद्र सरकार द्वारा अमृत योजना के तहत पेयजल लाइनें बिछाकर शहर में पानी का वितरण सुधारने के दावों की चालू होने से पहले ही हवा निकल गई है। 65 करोड़ 26 लाख से अधिक की लागत से तैयार अमृत योजना जहर के बराबर साबित हो रही है।करोड़ रुपये से न्यूनतम 4 इंच की पाइपलाइन डाली गई थी। अफसरों ने यहां तक कहा था कि बगैर मोटर चलाए घर की तीसरी मंजिल में पानी चढ़ जाएगा, जल मिशन योजना के तहत हुए कार्य कमीशन था कि 2 वर्षों में लोगों के घरों तक अमृत योजना की पूरी सप्लाई दी जाएगी मगर समय बीतने के बावजूद भी स्थिति कोई सुधार नहीं हुआ। शहर की गलियों में चार इंच की लाइन से आधा इंच अब तक पानी नहीं मिल पाया।
इस संबंध में जब जल निगम अधिशासी अभियंता वकार हुसैन से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनका फोन रिसीव नहीं हुआ और मैसेज का भी कोई जवाब नहीं मिला। निगम के जिम्मेदार कर्मचारियों ने भी अपना ठीकरा अयोध्या डिवीजन पर ठोक दिया। नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत पाइपलाइन बिछाते समय तोड़ी गई सड़कों की मरम्मत के नाम पर भी जमकर पैसा खाया गया है उन सड़कों को अब तक नहीं सुधारा गया।योजना में घटिया सामग्री के प्रयोग किए जाने से कार्यदायी संस्था जलनिगम सवालों के घेरे में आ गई है।