ट्विन टावर रविवार को ठीक 2.31 बजे ढहा दिए गए। पहले सियान, फिर एपेक्स टावर में विस्फोट हुआ। 6 सेकंड में दोनों टावर गिर गए। करीब 500 मीटर दूर स्थित JP फ्लाईओवर भी इस ब्लास्ट से हिल गया। इसी फ्लाई ओवर पर सारे अधिकारी और मीडियाकर्मी मौजूद थे, जो कंपन से सहम गए।
अभी ध्वस्त हुए टावर के पास जाने की इजाजत किसी को नहीं है। टावर ध्वस्त करने वाली कंपनी जेट डिमोलिस और एडीफिस पहले निरीक्षण करेंगी। इसके बाद ही कोई अधिकारी या अन्य व्यक्ति वहां पर जा सकेगा। टावर गिरने के बाद प्रशासन के क्लियरेंस तक 5 रास्तों पर ट्रैफिक की आवाजाही रोकी गई है। ब्लास्ट के बाद इलाके में पॉल्यूशन लेवल मॉनिटर करने के लिए स्पेशल डस्ट मशीन लगाई गई हैं। इस ब्लॉस्ट में टावर के पीछे एटीएस विलेज सोसाइटी की 12 मीटर बाउंड्री वॉल टूटी है।
दोनों टावर को गिराने का जिम्मेदारी एडीफिस कंपनी को मिली थी। इस प्रोजेक्ट के मैनेजर मयूर मेहता बताते हैं कि करीब 3500 किलो बारूद लगाया गया था। टावर को गिराने के लिए वॉटर फॉल टेक्नीक का इस्तेमाल किया गया है। बेसमेंट में पहला ब्लास्ट हुआ। आखिरी ब्लास्ट 30वीं मंजिल पर किया गया। इस टेक्नीक को इग्नाइट ऑफ एक्सप्लोजन कहते हैं।
यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने ट्वीट किया कि नोएडा का सुपरटेक ट्विन टॉवर सपा के भ्रष्टाचार और अराजकता की नीति का जीवंत प्रमाण है। इसके बाद सपा के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने ट्वीट पर पलटवार किया कि भ्रष्टाचार करने वालों को चारों ओर भ्रष्टाचार ही दिखता है।
यहां CBRI ने 10 ब्लैक बॉक्स लगाए हैं। इसमें वाइब्रेशन रिकॉर्ड हुआ है। ट्विन टावर के पास की सोसाइटी में रहने वालों को 10 घंटे घर में रहने की सलाह दी गई है। 3 सोसाइटी में रसोई गैस और बिजली सप्लाई को रोका गया है। जिसे दोपहर 3 बजे के बाद दोबारा शुरू किया गया।
560 पुलिस कर्मी, रिजर्व फोर्स के 100 लोग, 4 क्विक रिस्पॉन्स टीम और NDRF की टीम तैनात की गई थी। ट्रैफिक डायवर्जन प्वाइंट्स एक्टिव हैं। विस्फोट से ठीक पहले दोपहर करीब 2.15 बजे एक्सप्रेस-वे को बंद किया गया था। इंस्टेंट कमांड सेंटर में 7 CCTV कैमरों की मदद से निगरानी की गई।
सुपरटेक एमरोल्ड और आसपास रेजिडेंशियल एरिया से करीब 300 पालतू पैट्स को यहां से सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। आवारा कुत्ते–बिल्लियों के लिए प्रशासन ने कई NGO की मदद ली है। यहां से करीब 40 आवारा कुत्ते और बिल्ली को रेस्क्यू किया है।
दोनों टावर को बनाने में 200 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। अब इन्हें गिराने का ठेका कुल 17 करोड़ में दिया गया है। जिसमें 5 करोड़ सुपरटेक ने मुंबई की एडिफाइस इंजीनियरिंग को दिए हैं। 80 हजार मीट्रिक टन मलबे में 4 हजार मिट्रिक टन सरिया निकलने की उम्मीद है। इससे 13 करोड़ रुपए मिलने वाले हैं।
साइंटिफिक तरीके से खत्म होगा 28 हजार मीट्रिक टन मलबा
- करीब 80 हजार मीट्रिक टन मलबा निकलने का अनुमान है
- सेक्टर-80 के सीएंडडी वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट 28 हजार मीट्रिक टन मलबा पहुंचाया जाएगा।
- यहां साइंटिफिक तरीके से मलबा का डिस्पोजल होगा।
- रोजाना 25 गाड़ियां मलबा लेकर वेस्ट प्लांट जाएंगी।
- बाकी मलबा से बेसमेंट को भर दिया जाएगा।
- 90 दिनों की डेडलाइन इस डिस्पोजल के लिए तय की गई है।
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