- सत्यम सिंह
अम्बेडकरनगर। जनपद के अकबरपुर तहसील के अंतर्गत स्थित उप निबंधक कार्यालय में दलालों का व्यापक पैमाने पर जमावड़ा दिखाई पड़ता है । मिली जानकारी के अनुसार बिना सुविधा शुल्क दिए विवाह रजिस्ट्रेशन, बैनामा रजिस्ट्री, ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन आदि हो पाना संभव नहीं है। विवाह से संबंधित रजिस्ट्रेशन, जमीन की खरीद-फरोख्त के अंतर्गत बैनामा, ट्रस्ट दस्तावेज रजिस्ट्रेशन आदि का काम बिना दलाल से मिले और अतिरिक्त सुविधा शुल्क दिए नहीं हो सकता। चर्चा है कि उप निबंधक कार्यालय के बाबू पक्षकारों के कार्यों को बिना अतिरिक्त सुविधा शुल्क लिए नहीं करते हैं ।
शासन के द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार निर्धारित शुल्क देने के बावजूद अतिरिक्त सुविधा शुल्क देने को जरुरतमंद मजबूर हो रहे हैं। अकबरपुर बैनामा दफ्तर के इंचार्ज सब रजिस्ट्रार, निबंधन सहायक और स्टाम्प वेंडर, दस्तावेज लेखक व अन्य बाहरी दलालों की मिलीभगत से क्रेता और विक्रेता दोनों परेशान हो चुकें हैं।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, अकबरपुर के उप निबंधक कार्यालय में जबरदस्त भ्रष्टाचार कायम है। उप निबंधक कार्यालय अकबरपुर में जमीन की खरीद-फरोख्त के अंतर्गत कराए जाने वाला बैनामा विवाह रजिस्ट्रेशन, ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन आदि कार्य करवाने आने वाले लोगों में हो रही चर्चाओ में यहां व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में प्रायः सुना जाता है। कहते हैं कि बैनामा लिखे जाते समय अनुमानित मालियत का आधा परसेंट और रजिस्ट्रेशन फीस में 500 अतिरिक्त तथा ऑफिस में तैनात निबंधन लिपिक द्वारा ऑनलाइन के दौरान उच्च अधिकारी के नाम पर 500 रुपए प्रति दस्तावेज फरियादियों से बकायदा वसूल किया जा रहा है।
एक नवागत निबंधन लिपिक की कार्यशैली इस समय लोगों में चर्चा का विषय बनी हुई है। बताया गया है कि यह सहायक जिले के अन्य तहसील के बैनामा दफ्तर से जुलाई महीने में स्थानांतरित होकर अकबरपुर उप निबंधन कार्यालय में आया है और अपने तरीके से मनमानी कर रहा है । सूत्र बताते हैं कि यह सहायक बैनामा दफ्तर अकबरपुर के सब रजिस्ट्रार का चहेता है।
उप निबंधक कार्यालय में आए हुए जरुरतमंदों की चर्चाओं के अनुसार जिन फरियादियों द्वारा अतिरिक्त सुविधा शुल्क अदा कर दिया जाता है उनकी पत्रावली तेजी गति से टेबल टू टेबल दौड़ने लगती है। जरुरतमंद द्वारा अतिरिक्त सुविधा शुल्क न दिए जाने पर शोर-शराबा किया जाता है तो उसकी पत्रावली में तरह-तरह से आपत्तियों का ढेर निकाल दिया जाता है।
जरुरतमंदों को उप निबंधक कार्यालय का चक्कर लगवा कर चप्पल घिसवा दिया जाता है। मजबूरन क्रेता और विक्रेता अपने कार्य के निष्पादन के लिए अतिरिक्त सुविधा शुल्क देने को मजबूर हो जाता है। बता दें कि अगस्त माह के शुरुआती दिनों में जिले के अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) अशोक कुमार कन्नौजिया द्वारा औचक निरीक्षण किया गया था और विभाग के कर्मचारियों व अधिकारी को आवश्यक हिदायतें दी गईं थी। परंतु, अब सबकुछ पूर्वतः चल रहा है। ऐसी स्थिति में यदि उच्च स्तरीय जांच उप निबंधक कार्यालय में कराई जाए, तो सच्चाई अवश्य ही सामने आएगी।
