- दास्तान-ए-अंबेडकरनगर पीडब्ल्यूडी महकमा
- पीडब्ल्यूडी का दबंग और चर्चित जेई: शेखीबाज और धन कमाऊ
- जेई बना अंगद का पांव, जिले में बिताया 14 साल, क्या इसका होगा कभी तबादला
- बेखौफ जेई के मनबढ़ होने का कारण:- उच्च पदस्थ रिश्तेदार, प्रभावशाली, दबंग, बाहुबली स्थानीय लोग
अंबेडकरनगर । जिले के पीडब्ल्यूडी महकमे के एक महत्वपूर्ण खंड में डेढ़ दशक से जमे एक अवर अभियंता की करतूतें धीरे-धीरे कर अब सार्वजनिक होने लगी है। 15 साल पहले विभाग में अपनी सेवा की शुरुआत करने वाले इस जेई के क्रियाकलाप बड़े ही एटीट्यूड वाले बताए जाते हैं। इस समय यह जेई विभागीय कार्यालय से सटे सर्किट हाउस (डाक बंगला) का प्रभारी भी है। इसका रौला कुछ अधिक ही बढ़ा हुआ बताया जाता है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस जेई की देख-रेख में कुछ अतिमहत्वपूर्ण सड़कें बनवाई गईं थीं। निर्माण के कुछ ही महीने उपरान्त, इनकी दशा दुर्दशा में बदल गई। इस चर्चित जेई की खाऊ-कमाऊ नीति से विभाग को अब तक लाखों-करोड़ो का चूना लग चुका है।
इसकी देख-रेख में निर्मित अकबरपुर-मिझौड़ा सड़क मार्ग जल्द ही ऊबड़-खाबड़ मार्ग में तब्दील हो गई थी। जिसका जीर्णोद्धार विभाग द्वारा जनता की शिकायत पर कराया गया। इसमें लाखों रुपए का विभाग को आर्थिक नुकसान हुआ। साथ ही विभाग की छवि भी खराब हुई।
शेखीबाज, दबंग एवं अकडू़ जैसे विशेषणों से अंलकृत इस जेई का रुतबा और ठाठ-बाट ही सबसे अलग है। बताया गया है कि इस अभियंता ने अपनी उम्र का चालीसवां वसंत भी नहीं देखा है। बावजूद इसके, इसकी अकड़ एटीट्यूड और बड़बोलापन तो उत्तरोत्तर बढ़ता जा रहा है। साथ ही, इसके घर की तिजोरी बहुमूल्य आभूषणों और नकदी करेंसी नोटों की गड्डियों से भरती जा रही है।
लूट-खसोट में अव्वल नंबर का यह जेई जिले के कई प्रभावशाली व दबंग लोगों का हमप्याला व हमनिवाला भी बना हुआ है। इसके अलावा, लखनऊ स्थित मुख्यालय में अपने कथित उच्च पदस्थ रिश्तेदार का वरदहस्त प्राप्त होने के कारण यह जिले में विभागीय खुला खेल फरुर्खाबादी खेल रहा है। इसके लिए, विभाग के जनपद स्तरीय बड़े अभियंता कोई मायने नहीं रखते।
