अंबेडकरनगर: जनपद के गन्ना किसानों को पर्ची न मिल पाने से उनकी परेशानी बढ़ी

अंबेडकरनगर: जनपद के गन्ना किसानों को पर्ची न मिल पाने से उनकी परेशानी बढ़ी


अंबेडकरनगर। समय पर पर्ची न मिलने से पेड़ी गन्ना किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दरअसल पेड़ी गन्ना खेतों में खड़ा होने से गेहूं की बुआई प्रभावित हो रही है। किसानों ने पर्ची समय पर न मिलने का ठीकरा गन्ना विभाग कार्यालय पर फोड़ते हुए कहा कि जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं।मौजूदा समय में गन्ना खरीद चल रही है। जिले भर में 23 हजार हेक्टेअर क्षेत्रफल में गन्ने की बुआई की गई है। 48 हजार किसानों को गन्ना बेचने के लिए मिल गेट समेत कुल 38 केंद्र स्थापित हैं। 


दावा तो सुचारु रूप से गन्ना खरीद का किया जा रहा है लेकिन पेड़ी गन्ना किसानों को पर्ची नहीं मिल पा रही है।पर्ची न मिल पानेे से खेतों में पेड़ी गन्ना खड़ा है। खेत खाली न होने के चलते किसान गेहूं की बुआई नहीं कर पा रहे हैं। किसानों को पर्ची उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी गन्ना विभाग कार्यालय की है किसानों का कहना है कि कार्यालय की लापरवाही के चलते ही समय पर पर्ची नहीं मिल रही है। यदि शीघ्र ही खेत खाली नहीं हुुए तो गेहूं की बुआई पिछड़ जाएगी। इसका सीधा प्रभाव उपज पर पड़ेगा।


अधिकांश किसानों को अब तक मात्र एक पर्ची ही आई है।उन्हें कम से कम चार पर्ची आनी चाहिए। इससे कुछ ही पेड़ी गन्ना बिक सका है। गेहूं की बुआई पिछड़ रही है। पर्ची के लिए जब भी जिम्मेदारों से संपर्क किया जाता है तो शीघ्र उपलब्ध होने का आश्वासन मिलता है। 


गन्ना किसानों ने कहा कि एक तरफ डीएपी नहीं मिल रही तो दूसरी तरफ पर्ची नहीं मिल रही है। छह बीघा पेड़ी गन्ना न कटने से खेत खाली नहीं हो पा रहा जिससे गेहूं की बुआई नहीं कर पा रहे हैं। अब तक एक भी पर्ची नहीं मिली है। यदि शीघ्र ही पर्ची न मिली तो क्रेशर पर गन्ने की बिक्री करनी पड़ेगी।


अधिकांश गन्ना किसानों के कई बीघे क्षेत्रफल में पेड़ी गन्ना है। अब तक एक भी पर्ची नहीं मिल सकी है। पेड़ी गन्ना समय रहते न बिका तो गेहूं की बुआई नहीं हो सकेगी। यदि ऐसा हुआ तो वर्ष भर क्या खाएंगे। पर्ची के लिए प्रतिदिन गन्ना विभाग कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, पर्ची कब मिलेगी इसकी कोई जानकारी नहीं दे रहा ।किसानों  ने कहा कि साढ़े चार बीघा क्षेत्रफल में पेड़ी गन्ना है।


जब तक पेड़ी गन्ना कटेगा नहीं तब तक गेहूं की बुआई नहीं हो सकेगी। गन्ना विभाग कार्यालय से लेकर चीनी मिल प्रशासन तक से शिकायत दर्ज करा चुके हैं लेकिन अब तक एक भी पर्ची नहीं मिल सकी है। यदि जल्द पर्ची न मिली तो क्रेशर पर गन्ना बेचना पड़ेगा।अकबरपुर चीनी मिल मिझौड़ा की पेराई की क्षमता प्रतिदिन 75 हजार क्विंटल है। ऐसे में सर्वे कर किसानों का कैलेंडर बनाया गया था। इसी के अनुरूप पर्ची दी जा रही है। यदि किसी किसान को समस्या हो तो वह गन्ना समिति कार्यालय पर संपर्क कर सकता है।

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