संसद सत्र के दौरान दिल्ली में गरजेंगे किसान, भारत जोड़ो यात्रा के साथ कांग्रेस ने खोला दूसरा मोर्चा

संसद सत्र के दौरान दिल्ली में गरजेंगे किसान, भारत जोड़ो यात्रा के साथ कांग्रेस ने खोला दूसरा मोर्चा

अखिल भारतीय किसान कांग्रेस ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर विशाल रैली एवं प्रदर्शन करने की घोषणा की है। किसानों की मांगों में, कानूनी तौर से न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देना शामिल है। यह गारंटी स्वामीनाथन रिपोर्ट के आधार पर सभी फसलों के लिए C2+50 प्रतिशत के फॉर्मूले पर होनी चाहिए...





कांग्रेस पार्टी ने 'भारत जोड़ो यात्रा' के बीच दिल्ली के जंतर-मंतर पर नौ दिसंबर को राष्ट्रीय स्तर की रैली आयोजित करने की घोषणा की है। सात दिसंबर से संसद सत्र शुरू हो रहा है। सत्र की शुरुआत में ही कांग्रेस पार्टी ने किसानों की मांग उठा दी है। 'भारत जोड़ो यात्रा' उत्तर भारत में प्रवेश कर चुकी है। आने वाले दिनों में भारत जोड़ो यात्रा, ऐसे कई बड़े राज्यों से गुजरेगी, जहां किसान आंदोलन का व्यापक असर रहा है। मंगलवार को अखिल भारतीय किसान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखपाल सिंह खैरा ने प्रधानमंत्री मोदी के नाम 14 मांगों वाला एक पत्र जारी किया है। पीएम मोदी से मांग की गई है कि वे कॉरपोरेट सेक्टर का 10 लाख करोड़ रुपये का ऋण माफ कर सकते हैं, तो किसानों का क्यों नहीं। देश का किसान कर्ज में डूबा है और आत्महत्या करने पर मजबूर है। सुखपाल सिंह खैरा का दावा है कि इस रैली में देशभर से भारी संख्या में किसान शामिल होंगे।


कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा, अब राजस्थान में है। उसके बाद यह यात्रा, उत्तर भारत के दूसरे राज्यों में पहुंचेगी। यात्रा की मजबूती के लिए पार्टी ने किसानों को साथ लेने की रणनीति बनाई है। यही वजह है कि अब संसद सत्र की शुरुआत में ही एक बड़ी रैली आयोजित करने की घोषणा कर दी है। सुखपाल सिंह खैरा कहते हैं कि देश के किसानों एवं खेतिहर मजदूरों की विकट समस्याओं के प्रति केंद्र सरकार उदासीन है। उनकी मांगों को अनदेखा किया जा रहा है। किसानों की समस्याओं के शीघ्र निराकरण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा गया है। इसमें किसान आंदोलन का जिक्र भी हुआ है। आंदोलन को खत्म हुए लगभग एक वर्ष हो चुका है, लेकिन केंद्र सरकार ने किसानों की मांगों पर कोई कदम नहीं उठाया। ऐसी स्थिति में किसानों के लिए दोबारा से सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं बचा है।


बतौर खैरा, यह दुर्भायपूर्ण है कि केंद्र सरकार ने किसानों के प्रति कोई भी ऐसा सकारात्मक कदम नहीं उठाया, जिससे किसानों में विश्वास पैदा हो। उन्हें अपनी मांगों के पूरा होने की उम्मीद नजर आए। इन हालातों के मद्देनजर अखिल भारतीय किसान कांग्रेस ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर विशाल रैली एवं प्रदर्शन करने की घोषणा की है। किसानों की मांगों में, कानूनी तौर से न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देना शामिल है। यह गारंटी स्वामीनाथन रिपोर्ट के आधार पर सभी फसलों के लिए C2+50 प्रतिशत के फॉर्मूले पर होनी चाहिए। केंद्र सरकार ने इस दिशा में जो कमेटी गठित की थी, उसे किसान पहले ही नकार चुका है। पुरानी कमेटी भंग की जाए, एमएसपी के लिए कानूनी तौर पर गारंटी देने के लिए नई कमेटी गठित हो। इसमें किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए। खेती की लागत बढ़ने और उत्पादन का सही मूल्य न मिलने के कारण, किसान कर्ज में डूबा है। वह आत्महत्या करने पर मजबूर है।


पीएम को लिखे पत्र में कॉरपोरेट सेक्टर की तर्ज पर किसानों का कर्ज माफ करने की मांग की गई है। खेतिहर मजदूरों का ऋण पूर्णतया माफ किया जाए। केंद्र सरकार ने दिसंबर 2021 में किसान मोर्चा को लिखे एक पत्र में इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2022 को वापस लेने का लिखित वादा किया गया था, लेकिन वही बिल संसद में पेश कर दिया गया है। इसे वापस लिया जाए। सुखपाल खैरा ने अपने पत्र में लिखा है कि लखीमपुर खीरी में किसानों की मौत के लिए मुख्य साजिशकर्ता एवं केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त किया जाए। गिरफ्तार किए गए बेकसूर किसानों को रिहा किया जाए। किसानों पर दर्ज किए गए झूठे मुकदमें खारिज हों। किसानों की फसल को सूखा, बाढ़, तूफान व अधिक बारिश आदि प्राकृतिक आपदाओं से राहत देने के लिए सभी तरह की फसलों पर  कारगर बीमा योजना शुरू हो।


सभी छोटे, लघु, मध्यम किसानों व खेतिहर मजदूरों के लिए 5000 रुपये प्रतिमाह की किसान पेंशन योजना आरंभ की जाए। सभी राज्यों में किसान आंदोलनों के दौरान किसानों पर दर्ज किए गए मुकदमे रद्द किए जाएं। किसान आंदोलनों में शहीद हुए किसानों के परिवारों को उचित मुआवजे के अलावा नौकरी देने का प्रावधान सुनिश्चित किया जाए। सिंधु मोर्चा स्थल पर शहीद किसानों के सम्मान के लिए 'किसान शहीद स्मारक' स्थापित किया जाए। किसानों के खेत में काम कर रहे मजदूरों को भी मनरेगा स्कीम के अंतर्गत लाया जाए। इससे न केवल अधिक मजदूरों को रोजगार की गारंटी प्राप्त होगी, बल्कि किसानों को भी कम लागत पर खेती करने का लाभ मिलेगा। निजी क्षेत्र में किए जा रहे साइलो भंडारण नीति का किसानों ने कड़ा विरोध किया है। इसकी जगह किसानों की सहकारी समिति गठित कर, भंडारण व्यवस्था शुरू की जाए। इससे किसानों को रोजगार प्राप्त हो सकेगा।

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