नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी को मोहन भागवत का जवाब

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी को मोहन भागवत का जवाब

मोहन भागवत ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर कहा कि देश के लिए जो नेताजी कर रहे थे वही संघ भी कर रहा है।सुभाष चंद्र बोस को लेकर भागवत ने कहा कि वह हमेशा लोगों के स्मरण में रहे।







नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के मौके पर कोलकाता के शहीद मीनार में आयोजित कार्यक्रम में आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा कि जिनके साम्राज्य पर सूर्यास्त नहीं होता, ऐसे लोगों के लिए एक नई सेना बनाकर उन्होंने चुनौती खड़ी की और भारत के दरवाजे पर दस्तक दी। समय का भाग्य चक्र अगर सीधा चलता तो नेताजी भारत के अंदर प्रवेश करके बहुत आगे आ चुके होते। यहां रहकर यहां के स्वतंत्रता के लिए प्रयास करने वालों से मिलन होता और भारत बहुत पहले स्वतंत्र हो गया होता।


जिस तरह से सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनीता बोस ने कहा था कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आरएसएस की विचारधारा अलग-अलग धी। नेताजी वामपंथी थे जबकि संघ दक्षिणपंथी है। अनीता बोस के बयान पर जवाब देते हुए मोहन भागवत ने कहा कि देश के वैभव और संपन्नता के लिए नेताजी भी काम करते थे और हम भी काम कर रहे हैं। भारत एक अमर राष्ट्र है। भारत दुनिया कोधर्म देता है, रिलिजन नहीं। पूरी दुनिया भारत की ओर नेतृत्व के लिए देख रहा है, हमे एक मिसाल बनना है।


मोहन भागवत ने कहा कि समय-समय पर उनका स्मरण करना हमारे लिए स्वाभाविक बात है। हम नेताजी सुभाष चंद्र बोस को याद कर रहे हैं, हम यह पहली बार नहीं कर रहे हैं, प्रतिवर्ष हम कार्यक्रम करते हैं। मैं पहले भी इस तरह के कार्यक्रम में उपस्थित रहा हूं। हम आगे भी यह कार्यक्रम करते रहेंगे। आज हमारा जीवन और देश का जीवन जिनके त्याग पर खड़ा है उनके प्रति हमे कृतज्ञता अर्पित करनी चाहिए। हम सबको मिलकर अपने देश को दुनिया में एक स्थान दिलाना है। ऐसा स्थान दिलाने के लिए नेताजी ने अपना जीवन अर्पण कर दिया। बचपन में ही परिवार के ऐसे संस्कार थे कि नेताजी की अपनी अलग ही गुणवत्ता थी। नेताजी ने देश के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया।


मोहन भागवत ने कहा कि नेताजी ने पूरे जीवन में अपने स्वार्थ का कभी नहीं सोचा। इतने पढ़े-लिखे थे, बहुत कमा सकते थे, परंतु देश की स्वतंत्रता के लिए अक्षरश: अपना जीवन कष्टों में बिताया। जेल भी गए, देश से बाहर जाना पड़ा। सारा जीवन एक तपस्या थी। देश के लिए उन्होंने अपनी तपस्या की। पूर्ण समर्पण, निस्वार्थ का जीवन है नेताजी का। देश के लिए किसी भी प्रकार का साहस, अपने प्राणों की परवाह किए बिना करना एक मिसाल है। देश के लिए उन्होंने इतना कुछ किया, लेकिन हमने उन्हें क्या दिया, उस समय उन्हें कुछ नहीं मिला।

Post a Comment

और नया पुराने