अंबेडकरनगर। न्याय की प्रक्रिया को सहज, सुलभ और त्वरित बनाने की दिशा में कदम उठाते हुए आगामी 8 मार्च 2025 को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत की सफलता सुनिश्चित करने के लिए जनपद न्यायालय परिसर में बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता अपर जिला जज एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव भारतेन्दु प्रकाश गुप्ता ने की। बैठक में न्यायिक अधिकारियों ने लोक अदालत के व्यापक प्रभाव और उसके माध्यम से अधिकतम मामलों के निस्तारण को लेकर विस्तृत चर्चा की।
बैठक में उपस्थित सभी न्यायिक अधिकारियों ने आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत में अधिक से अधिक वादों के निस्तारण को सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई। इस अवसर पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुधा यादव, अपर सिविल जज ज्योत्सना मणि यदुवंशी, सिविल जज गार्गी, सिविल जज मेघा चौधरी, सिविल जज अभिषेक सिंह, सिविल जज जान्हवी वर्मा और आश्री शाह सहित अन्य कई न्यायिक अधिकारी उपस्थित रहे।
अपर जिला जज एवं सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने बैठक के दौरान न्यायिक अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत में अधिक से अधिक लंबित वादों को सूचीबद्ध कर उनके निस्तारण का प्रयास किया जाए। इसके अलावा, जनता को लोक अदालत की प्रक्रिया के प्रति जागरूक करने और उन्हें इस सुविधा का लाभ दिलाने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार करने की भी अपील की गई। उन्होंने यह भी कहा कि लोक अदालत के माध्यम से विवादों का त्वरित समाधान जनता के लिए अत्यंत लाभदायक होता है, क्योंकि इसमें समय और धन की बचत होती है और दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति से समझौता कराकर स्थायी समाधान निकाला जाता है।
बैठक के दौरान चर्चा में इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि पारिवारिक विवादों, बैंक ऋण वसूली, श्रम विवाद, भूमि अधिग्रहण, नगर निगम एवं नगर पालिका से जुड़े मामलों, विद्युत एवं जल कर विवाद, यातायात चालान, उपभोक्ता फोरम में लंबित वादों, चेक बाउंस से संबंधित एन.आई. एक्ट के मामलों, आपदा राहत वादों, सर्विस मैटर्स, राजस्व संबंधी वादों सहित विभिन्न प्रकार के मामलों को प्राथमिकता से निपटाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
राष्ट्रीय लोक अदालत में खासतौर पर पारिवारिक विवादों को सुलह-समझौते के माध्यम से सुलझाने पर विशेष ध्यान देने की बात कही गई। न्यायिक अधिकारियों ने इस दिशा में विशेष रूप से प्रयास करने का संकल्प लिया ताकि लोगों को अदालतों के लंबे मुकदमों से राहत मिल सके और पारिवारिक विवादों का सौहार्दपूर्ण समाधान निकल सके।
अपर जिला जज एवं सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने यह भी बताया कि यदि किसी व्यक्ति का मामला अभी तक न्यायालय में पंजीकृत नहीं हुआ है, तो वह जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में आवेदन देकर अपने विवाद को सुलह-समझौते के माध्यम से सुलझा सकता है। इससे अनावश्यक कानूनी प्रक्रिया से बचते हुए अपने समय और धन की बचत की जा सकती है।
