नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अब से कुछ दिनों बाद विधानसभा चुनावों की शुरुआत हो जाएगीण् इस बार मुख्यमंत्री की गद्दी पर योगी आदित्यनाथ दोबारा बैठेंगे या नहीं यह तो चुनाव बाद ही पता लगेगाण् लेकिन उससे पहले आज हम सपा संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव के जीवन से जुड़ा एक अहम किस्सा बताने जा रहे हैं। मुलायम सिंह यादव आज अपना 83वां जन्मदिन बना रहे हैंण् सफल राजनेता होने के बावजूद भी एक ऐसा दिन उनके जीवन में आयाए जिसे वे कभी याद नहीं करना चाहेंगेण् एक ऐसा दिन जब अपनी बहू डिंपल यादव की वजह से मुलायम देश के प्रधानमंत्री नहीं बन पाए थे
1996 मुलायम के लिए कभी न भूलने वाला साल रहा
1996 मुलायम सिंह यादव के लिए कभी न भूलने वाला साल रहाण् वो चाहकर भी इस साल को कभी याद नहीं करना चाहेंगे क्योंकि यह वही साल थाए जब वो प्रधानमंत्री बनते.बनते रह गए थे मीडिया रिपोर्ट्स और कई सियासी विशेषज्ञों द्वारा दावा किया जाता है कि इस वर्ष प्रधानमंत्री पद के लिए मुलायम सिंह यादव के नाम पर मुहर लग गई थी यहां तक कि शपथ ग्रहण की तारीख और समय सब कुछ तय हो चुका था लेकिन लालू प्रसाद यादव अपनी बेटी की शादी अखिलेश यादव से करना चाह रहे थे इस बात का पता जब अखिलेश को चला तो उन्होंने डिंपल से शादी की बात कही जिस पर मुलायम ने पूरी कोशिश की लेकिन जब अखिलेश नहीं माने तब लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने समर्थन नहीं दियाण् इसके बाद मुलायम सिंह यादव की जगह एचडी देव गौड़ा का प्रधानमंत्री का शपथ दिलाया गया।
दो साल में मिले थे तीन प्रधानमंत्री
भले ही मुलायम उस समय पीएम नहीं बन सके पर उन सालों में पीएम की गद्दी पर स्थिरता रह ही नहीं पाईण् भारतीय राजनीति में यह वही वर्ष थाए जब देश को 2 वर्ष में तीन प्रधानमंत्री मिले। 1996 में सबसे पहले बीजेपी के अटल बिहारी वाजपेयी पीएम बने हालांकि लोकसभा में बहुमत सिद्ध नहीं कर पाने की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। वहीं कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी लेकिन सरकार बनाने का दावा नहीं किया और इसके बाद यूनाइटेड फ्रंट ने जब सरकार बनाने की सोची तो फिर पीएम पद के लिए एचडी देवगौड़ा का नाम आया।
उस समय कर्नाटक की राजनीति में देवगौड़ा का नाम काफी बड़ा था और उनकी छवि साफ.सुथरी थी। प्रधानमंत्री पद के दावेदार तो कई थे लेकिन देवगौड़ा के नाम पर सहमति बनी भारतीय राजनीति में इस वर्ष को इसलिए भी याद किया जाता है कि चुनाव में सिर्फ 46 सीटें लाने वाली पार्टी जनता दल के नेता देवगौड़ा को पीएम पद मिला
1996 में लोकसभा चुनाव की सीटों का लेखा जोखा
1996 के लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। भाजपा 161 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। वहीं कांग्रेस 141 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर थी और जनता दल को 46 सीटें मिली थींण् सबसे बड़ी पार्टी होने की वजह से भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया। अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ भी ले ली थी। लेकिन लोकसभा में बहुत नहीं साबित करने की वजह से उनको इस्तीफा देना पड़ा।
