राहुल और प्रियंका गांधी की कोशिशों पर पानी फेर रहे हैं पी चिदंबरम और सलमान खुर्शीद जैसे नेता

राहुल और प्रियंका गांधी की कोशिशों पर पानी फेर रहे हैं पी चिदंबरम और सलमान खुर्शीद जैसे नेता

नई दिल्ली। माता वैष्णो देवी के चरणों में हाजिरी लगाने आया हूं। सितंबर में वैष्णो देवी मंदिर में चढ़ाई कर पहुंचे राहुल गांधी पूरी तरह भक्ति भाव में नजर आए थे और इसे कांग्रेस की राजनीति का बदला रूप माना जा रहा था। यही नहीं प्रियंका गांधी भी जब पिछले महीने काशी विश्वनाथ पहुंचीं तो माथे पर चंदनए हाथों में तुलसी की माला लिए दिखीं। राहुल और प्रियंका के मंदिरों के दौरे को कांग्रेस की सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति से जोड़कर देखा गया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार की समीक्षा के लिए बनी एंटनी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि बहुसंख्यसकों के बीच पार्टी की हिंदू विरोधी छवि का प्रचार हुआए जो भारी पड़ा है।

इसके बाद से ही कांग्रेस लगातार प्रयत्न करती रही है कि वह कहीं से भी ऐसे किसी मुद्दे को लेकर न फंसेए जो उसे बहुसंख्यक समाज के विरोधी के तौर पर प्रचारित करने का मौका भाजपा को दे दे। यही वजह थी कि राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर पार्टी ने सधी हुई राय दी। इसके अलावा आर्टिकल 370 हटाने को लेकर भी तीखा विरोध नहीं दिखा। गुजरात में 2018 के चुनावों के दौरान तो राहुल गांधी के मंदिरों में जाने को टेंपल रन तक लिखा गया लेकिन वह और प्रियंका गांधी लगातार कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व की ओर बढ़ने का संकेत देते रहे हैं।

हिंदुत्व की इस्लामिक स्टेट से तुलना पर कांग्रेस में ही मतभेद

बीते एक सप्ताह के घटनाक्रम ने राहुल और प्रियंका की कोशिशों पर पानी फेरने जैसा काम किया है। राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लिखी गई कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की पुस्तक के विमोचन के दौरान दिग्विजय सिंह ने वीर सावरकर को लेकर कहा कि वह बीफ खाए जाने के खिलाफ नहीं थे। यही नहीं पीण् चिदंबरम ने तो सीधे राम मंदिर पर शीर्ष अदालत के फैसले पर ही सवाल खड़ा कर दिया।

उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने भले ही इस फैसले को स्वीकार कर लिया थाए लेकिन यह सही नहीं था। यही नहीं इस पुस्तक में ही खुर्शीद ने हिंदुत्व की तुलना इस्लामिक स्टेट और बोको हराम से कर दी थीए जिस पर कांग्रेस में ही बंटी हुई राय दिखी थी। 

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