अम्बेडकरनगर। जलालपुर में पिछले दो वर्षों से लॉकडाउन और कोरोना वायरस के बाद पहली बार 21 वीं रमज़ान हज़रत अली की शहादत दिवस के मौके पर शिया समुदाय के लोगों ने दिल खोलकर मातम किया। मौला अली की शहादत की याद में शिया समुदाय का गमजदा जुलूस नगर के बड़े इमाम बाड़े से चार किलोमीटर दूर चिलवनिया स्थित बड़ी दरगाह कर्बला रवाना हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया।
जुलूस में शामिल अजादार या अली मौला, हैदर मौला के गमजदा नारे लगाते हुए मातम कर रहे थे।हज़रत अली की शहादत पर तीन दिनों से जारी शोकाकुल कार्यक्रमों में बीती रात छोटे इमामबाड़ा में अंजुमन जाफरिया के बैनर तले मजलिस के बाद हज़रत अली के ताबूत बरामद किए गए। जहां नौहा ख्वानी व सीनाजनी का दौर जारी रहा।
नगर स्थित बड़े इमामबाड़ा पर अलविदाई मजलिस को मौलाना जाफर रजा जौहरी ने खिताब करते हुए कहा कि हज़रत अली एक शासक के पद पर रहते हुए सादा जीवन व्यतीत कर गरीबों के हितों को ध्यान में रखा जो आज के हुक्मरानों के लिए एक सबक है। हुसैनपुर,भीखपुर,उफरौली, सोनगांव, नगपुर,कोरझा समेत समूचे क्षेत्र में 21 रमजान के मौके पर पूरी रात्रि मजलिसों का दौर जारी रहा।
