कोरोना काल : बच्चों को नहीं मिला 94 दिन का मिड डे मील

कोरोना काल : बच्चों को नहीं मिला 94 दिन का मिड डे मील


अम्बेडकरनगर।
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग ने कोविड-19 लॉकडाउन अवधि के दौरान प्राथमिक विद्यालय के छात्रों के लिए खाद्यान्न और मध्याह्न भोजन भत्ता देने का निर्णय लिया था। लॉकडाउन के कारण स्कूल में मिड-डे मील नहीं मिल पाने वाले युवा छात्रों के पोषण लाभ के लिए योगी सरकार द्वारा व्यवस्था की गई थी।

लॉकडाउन के चलते एमडीएम योजना का संचालन भले ही ठप रहा, लेकिन इस अवधि में दोपहर के भोजन से वंचित छात्रों को उनके हिस्से का खाद्यान्न और कनवर्जन कास्ट की धनराशि का उन्हें भुगतान किया जाना था। छात्रों के हिस्से का खाद्यान्न उन्हें गांव के सरकारी राशन की दुकान से दिया जाना था जबकि कनवर्जन कास्ट का पैसा छात्रों के अभिभावकों के खाते में भुगतान किया जाना था। 

मीडिया ने पड़ताल की तो चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल अभी लॉकडाउन पीरियड का 94 दिन का खाद्यान्न नहीं मिल सका। दूसरी तरफ खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा जारी मासिक फूड ग्रेन बुलेटिन में खाद्यान्न उठाने का डेटा देखा जाए तो मिड-डे मील की हकीकत सामने आ जाएगी। 94 दिन का खाद्यान विभागीय उदासीनता के चलते कोटेदार के यहां पड़ा है। 

नियमानुसार खाद्यान्न का प्रयोग बच्चों के हित में होना है लेकिन व्यवस्थागत खामियां होने की वजह से यह बच्चों तक नहीं पहुंच पा रहा है। इस बाबत जानकारी करने पर प्रधानाध्यापक भी सही से स्पष्टीकरण नहीं दे पा रहे हैं। अहम सवाल यह है कि जो खाद्यान्न बच्चों को मिलना चाहिए था उसकी राह में रोड़ा कौन है। क्या बच्चों के हक के राशन को डकारने की कोशिश तो नहीं।

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