बसपा गठन के बाद से ही मायावती ने पार्टी में कई प्रयोग किए. 2022 के आस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही बसपा अब फिर से पुराने रणनीति पर लौट आई है. इसकी 4 प्रमुख वजह भी हैं.
यूपी चुनाव 2022 में करारी हार के बाद मायावती का पूरा फोकस मिशन 2024 पर है. बसपा ने 2024 में लोकसभा की 10 सीटें बचाने के लिए अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है. अब पार्टी युवाओं को संगठन में तरजीह देकर उसे साधने की कोशिश में है. पार्टी फिर से गांव चलो की रणनीति पर भी काम करना शुरू कर दिया है.
यूपी बसपा के नए अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने कहा है कि पार्टी की सभी कमेटी में 50 फीसदी युवाओं को जगह दी जाएगी. पाल ने शुक्रवार को कहा कि मायावती के आदेश के मुताबिक पार्टी में सभी जगहों पर युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है.
उन्होंने कहा कि बसपा फिर से अपनी पुरानी रणनीति 'चलो गांव की ओर' पर काम कर रही है और हम लोगों से संपर्क साध रहे हैं. कांशीराम के वक्त में बसपा लोगों से सीधे संपर्क साधने के लिए गांव चलो की रणनीति पर काम करती थी.
रिपोर्ट के मुताबिक बसपा निकाय चुनाव से लेकर आगे सभी चुनावों में 50 फीसदी टिकट युवाओं को दे सकती है. संगठन में युवाओं को जगह दी जाएगी, जिससे दलित युवाओं को मायावती और बसपा के मिशन के बारे में अधिक जानकारी मिल सके. गांव चलो अभियान के जरिए सीधे लोगों से संपर्क बनाया जाएगा. जोनल कॉर्डिनेटर इसकी रिपोर्ट बनाएंगे.
