जिला कारागार में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन

जिला कारागार में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन



अम्बेडकरनगर। जिला कारागार में मंगलवार को बन्दियों को विभिन्न नियमों के तहत रिहाई के विषय पर  अपर जिला जज/जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव कमलेश कुमार मौर्य द्वारा विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। इस विधिक साक्षरता शिविर में जिला कारागार से कारापाल गिरिजा शंकर यादव एवं कर्मचारीगण द्वारा प्रतिभाग किया गया।


शिविर को सम्बोधित करते हुये कमलेश मौर्य द्वारा बताया गया कि उच्चतम न्यायालय ने यह व्यवस्था दी है कि ऐसे विचाराधीन बन्दी को तुरंत रिहा किया जाये जिन्होने अपने ऊपर लगे अभियोग की संभावति अधिकतम सजा का आधा समय बतौर आरोपी जेल में व्यतीत कर लिया है। उच्चतम न्यायालय ने यह निर्देश दिया है कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं सचिव, जिला कारागार में जाकर इस प्रकार के बन्दियों की रिहाई के लिये आवश्यक प्रक्रिया की निगरानी करेंगे एवं आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे। इस आदेश के बाद लम्बी अवधि से जेलों में बंद विचाराधीन कैदी रिहा हो सकेंगे। 


यह पहली बार नहीं है कि लम्बे समय से जेलों में बंद कैदियों के प्रति चिंता व्यक्त की गई हो। वर्ष 2010 में संचालित अभियान एवं हाल ही में वर्ष 2022 में दिनांक 31 अक्टूबर से दिनांक 14.11.2022 के मध्य राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा विचाराधीन बंदियों की रिहाई हेतु संचालित महाअभियान 'हक हमारा भी तो है के तहत भी विचाराधीन कैदियों की संख्या कम करने का प्रयास किया गया था। काफी संख्या में ऐसे विचाराधीन बन्दी भी हैं जो कानून की अनभिज्ञता के चलते या उचित पैरवी के अभाव में जेलों में बंद है दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 436ए उन विचाराधीन बन्दियों को जमानत पर छोड़ने का प्रावधान करती है जिन्होने अपने अभियोग के लिये संभावित अधिकतम सजा का आधा समय जेल में गुजार लिया हो। इसके अतिरिक्त दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 (2) और धारा 437 (6) में भी तफतीश और न्यायिक कार्यवाही में होने वाली देरी की वजह से विचाराधीन बन्दियों को छोड़ने का प्रावधान है, जिनका प्रयोग उतना नहीं हो रहा है जितना होना चाहिये।




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