उत्तर प्रदेश: अंबेडकरनगर जिले के कई महत्वपूर्ण विभागीय सरकारी कार्यालयों में तैनात स्टेनो और उर्दू अनुवादक जैसे कर्मचारी अपनी गतिविधियों की वजह से चर्चा में रहते हैं। इन पर दबंगई और बाद का आरोप लगता रहता है।
जिला हाकिम, सीडीओ ,एडीएम के स्टेनो और डीएसओ के स्टेनो काफी चर्चित सरकारी कर्मी हैं।
आरोप है कि जिला हाकिम के स्टेनो और सीडीओ के स्टेनो स्वजातीय होने की वजह से किसी अन्य को अपने आगे नही सेटते हैं। इनकी मनमानी से अधिसंख्य कर्मी नाखुश बताएं जाते हैं। सोशल मीडिया की खबरों में प्रायः चर्चित रहने वाले इन बड़े साहेबानो के स्टेनो ने अपना नाम सुर्खियों में कर रखा है।
एडीएम के स्टेनो पर यह आरोप है कि ये अपने को अच्छे घराने एवम प्रभावशाली लोगों से बता कर रॉब गालिब करते हैं।
सोशल मीडिया में वायरल खबरों के अनुसार जिले में हाकिम का प्रभाव और खौफ दिखाकर ये लोग (स्टेनो बाबू) अवैध कार्य को अंजाम देते हैं।हाकिम स्तर का काम इनकी सेवा करने एवम खुश करने वाले लोग आसानी से करा लेते हैं। प्रभावशाली स्वजातियों और मालदार आसामियों से याराना रखने वाले इन स्टेनो बाबुओं ने हाकिमों से अधिक धौंस बना रखा है। इनके रूतबों से आम और सीधे सादे लोग इनकी खिलाफत भी खुल कर नही कर पाते हैं।
खबरों के मुताबिक स्टेनो टाइपिस्ट और उर्दू अनुवादक जैसे कर्मचारियों का ट्रांसफर भी नहीं हो सकता है।
क्या सच क्या गलत इसको विभागीय नियमों के जानकार ही बता सकते हैं। कई स्टेनो बाबू यहां अपने पदों पर 25 साल से जमे हुए हैं)
स्टेनो टू डीएसओ
डीएसओ के स्टेनो पर भी अब ऐसा ही आरोप लगने लगा है।इनके बारे में कहा जाता है कि ये एक युवा कर्मचारी हैं जो धनी परिवार से संबंध रखते हैं। डीएसओ के स्टेनो पर आरोप यह भी लग रहा है कि यह पूर्ति महकमे में तैनात अन्य अधिकारी और कर्मचारियों से विभागीय कार्य जल्द निपटाने हेतु सौजन्य शुल्क की बंधी रकम की डिमांड करते हैं। जो इनकी मांग मान लेता है, उसका काम समय पर हो जाता है।
डीएसओ के स्टेनो बाबू के बारे में चर्चा है कि यह स्वजातीय उच्च अधिकारियों और स्वजातीय माननीयों के चहेते हैं। विभागीय सहायक , इंस्पेक्टर, एआरओ और कोटेदार इन एसटी बाबू को चढ़ावे में बंधी रकम देते हैं।
उर्दू अनुवादक के बारे में
पिछले 25 सालों से जमे कई उर्दू अनुवादक भी अपनी कार्य शैली से चर्चा में रहते हैं। जिला सूचना कार्यालय में कार्यरत एक बाबू हैं जो मूलतः अनुवादक हैं। जनपद गठन से लेकर वर्तमान तक अभी भी जमे हुए हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि ये 3 ,4 सालों में रिटायर हो जायेंगे। हालांकि उर्दू अनुवादकों की जरूरत कम ही बताई गई है, फिर भी ये कर्मी एक ही कुर्सी पर बैठे हुए हैं।
बताया गया है कि जिला सूचना कार्यालय में कार्यरत विभागीय कर्मी इस अनुवादक जैसे वरिष्ठ कर्मी से कोई गिला शिकवा नहीं रखते हैं।
डीएसओ ऑफिस के अनुवादक
डीएसओ ऑफिस में जमे उर्दू अनुवादक को विभाग के जिला कार्यालय में उपजाऊ पटल दिया गया है। इनके द्वारा जिले के सभी कोटेदारों और मीडिया का प्रबंधन किया जाता है। विभाग में कार्यरत इस अनुवादक का अपना एक अलग ही रुतबा है। पद का प्रभाव वाले इस कर्मी को सबसे धनी मुलाजिम कहा जाता है।
